डायबिटीज पेंशेंट्स पर टीबी की दोहरी मार
4.2 लाख टीबी पेशेंट्स प्रदेश में
20 फीसद देश के टीबी पेशेंट्स यूपी में 500 रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा भत्ता - डायबिटीज के मरीजों को भी अब टीबी बना रही अपना शिकार LUCKNOW: एक तरफ टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर केंद्र की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 4.2 लाख लोग इस बीमारी का शिकार हैं। इसमें 89 फीसद की उम्र 15 से 69 वर्ष के बीच है। देश में टीबी के जितने भी मरीज हैं, उसका 20 फीसद सिर्फ यूपी में हैं। टीबी की बीमारी के कई कारण हैं जिसमें एक प्रदूषण भी है। अब डायबिटीज पेशेंट्स में यह बीमारी ज्यादा दिखाई दे रही है। चला रहे अभियानस्टेट टीबी ऑफिसर संतोष गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में टीबी कि रोगियों को चिन्हित कर उनका सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने का अभियान चल रहा है। निक्षय पोषण योजना से अब रोगी अपना पूरा इलाज कर रहे हैं। हर टीबी पेशेंट को 500 रुपए प्रतिमाह भत्ते के रूप में दिए जा रहे हैं।
प्रदूषण भी है कारणयूपी स्टेट टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ। वेद प्रकाश ने बताया कि टीबी दो तरह की होती है। पल्मोनरी टीबी और मल्टी ड्रग रेजिस्ट्रेंस टीबी। टीबी के मरीज बढ़ने के कई कारण हैं, जिसमें एक प्रदूषण भी है। प्रदूषण से लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में धूल आदि के कण शरीर में जाने पर टीबी का खतरा बढ़ा देते हैं।
डायबिटीज पेसेंट में ज्यादा खतरा डॉ। वेद ने बताया कि डायबिटीज पेशेंट में इसका खतरा तीन गुना ज्यादा रहता है। ऐसे तीन फीसद मरीज ऐसे मिले हैं, जिनको डायबिटीज की समस्या है। पहले यह बीमारी मलिन बस्तियों में होती थी, अब बड़े घरों के लोगों को भी यह अपना शिकार बना रही है। बीच में न छोड़ें दवा डॉ। वेद ने बताया कि टीबी के जीवाणु सबके अंदर होते हैं लेकिन उनके एक्टिव होने के कई कारण होते हैं। लोग जांच के बाद इलाज शुरू करते हैं लेकिन बहुत से पूरा इलाज नहीं कराते हैं। एक बार दवा शुरू करें तो जब तक बीमारी ठीक न हो तब तक दवा करें। बाक्स टीबी के लक्षण - तीन हफ्तों तक लगातार खांसी आना - खांसी के साथ खून का भी आना - सीने में दर्द और सांस का फूलना - वजन का कम होना और थकान लगना - शाम को बुखार आना और ठंड लगना बाक्स ऐसे करें बचाव- खांसते समय मुंह पर कपड़ा रखें
- भीड़-भाड़ वाली जगह या बाहर न थूंके - साफ सफाई का ध्यान रखें - ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें