मुद्दा

अतिक्रमण बताने से कतरा रहे अफसर

ऐसे खत्म नहीं होगी 'समस्या'

- एक भी ब्लॉक से डीएम कार्यालय को नहीं मिला ब्योरा

- कब्जा करने वालों के सामने प्रशासन नतमस्तक

आई एक्सक्लूसिव

Meerut: 25 मई को डीएम पंकज यादव ने जनपद के सभी तहसीलों को तालाबों से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे, 31 तक काम पूरा कर रिपोर्ट देनी थी। हालात यह है कि अभी तक एक भी तालाब से अतिक्रमण हटाने का काम तहसील प्रशासन ने नहीं किया है।

हटाना था अतिक्रमण

मुख्यमंत्री के जल बचाओ अभियान के तहत हर जनपद में तालाब-जोहड़ को अतिक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त कराना था, तालाबों को साफ उन्हें वाटर बॉडी के तौर पर विकसित करना था। डीएम ने शासन के निर्देश पर सभी तहसील को 31 मई तक तालाबों की लिस्ट और अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही से अवगत कराना था। आदेश के 15 दिन बाद भी एक भी तहसील से रिपोर्ट जिला मुख्यालय को नहीं दी गई है।

अतिक्रमणकारियों से खौफजदा

आश्चर्यजनक यह है कि अतिक्रमणकारियों के चंगुल में दम तोड़ चुके जनपद के हजारों तालाबों को पुनर्जीवित करने से तहसील प्रशासन कतरा रहा है। वजह तलाशने पर मालूम चला कि अतिक्रमणकारियों से लोहा लेने में प्रशासन कतरा रहा है तो वहीं ज्यादातर वाटर बॉडीज पर कंक्रीट के जंगल उगा लिए गए हैं।

शहर में नहीं है तालमेल

बात करें शहर की तो यहां स्थिति और भी गंभीर है। बेशकीमती सैकड़ों तालाबों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है और नगर निगम के पास लिस्ट भी नहीं है। डीएम के आदेश पर पल्ला झाड़ते हुए नगर निगम का कहना है कि तालाब राज्य सरकार की संपत्ति है, नगर निगम को बस केयरटेकर है।

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डीएम के आदेशों को संज्ञान में लेकर अभी उन तालाबों की सफाई कराई जा रही है जिन पर कोई विवाद नहीं है। शहर में सैकड़ों तालाब विवादित हैं और अवैध कब्जेदारों के चंगुल में है, लिस्ट बना ली है।

ईशा दूहन, एसडीएम, सदर मेरठ

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सभी तहसीलों को तालाबों से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए थे। अभी तक रिपोर्ट तहसीलों से नहीं मिली है। जबाव-तलब किया जाएगा। तालाबों को अतिक्रमणकारियों के चंगुल से छुड़ाना है।

पंकज यादव, डीएम, मेरठ।

Posted By: Inextlive