एलन की खामोश तस्वीर देखकर हिल गई दुनिया, अब बोल रहे हैं ये
अब दोबारा ऐसा न हो
इस हादसे में अब्दुल्ला तो बच गए लेकिन उनके दोनों बच्चे और पत्नी मौत की आगोश में समा गए। एलन के पिता अब्दुल्ला ने कहा, 'मेरे दोनों बच्चे सबसे खूबसूरत थे। जब नाव डूब रही थी तो वह दोनों मां की गोद से लिपट गए। मैंने बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन वे हाथ से फिसल गए और देखते ही देखते मेरा पूरा परिवार समंदर में समा गया।' हालांकि अब्दुल्ला अब चाहते हैं कि, पूरी दुनिया की नजर इस घटना पर पड़े ताकि फिर कोई मासूम ऐसे हादसे का शिकार न हो। यह बस आखिरी हो। आपको बताते चलें कि इस 3 वर्षीय बच्चे का शव तुर्की के मुख्य टूरिस्ट रिजॉर्ट के पास समुद्र तट पर उल्टा पड़ा था। यह तस्वीर ऐसी थी जिसे देखकर पूरी दुनिया हिल गई।
किसने क्या-क्या कहा
दनियाभर में एलन की जब फोटो सामने आई, तो सभी अखबारों ने इंसानियत पर सवाल खड़ किए। इटली के ला-रिपब्िलका ने हेडिंग लगाई कि, 'दुनिया को खामोश करती एक उदास तस्वीर'। वहीं इंग्लैंड के द सन ने लिखा, 'ये जिंदगी और मौत है'। डेली मिरर ने इसे 'असहनीय हकीकत' बताया तो मेट्रो ने लिखा, 'यूरोप बचा नहीं सका'। इसके अलावा द टाइम्स ने बताया, 'बंटे हुए यूरोप का चेहरा', जबकि डेली मेल ने इसे 'तानवीय आपदा का मासूम शिकार' करार दिया।
एलन को बचाया जा सकता था
एलन तो अब इस दुनिया में नहीं रहा लेकिन वह अपने पीछे तमाम ऐसे सवाल छोड़ गया जिसको लेकर बहस शुरु होने लगी। जर्मनी ने एलन की मौत का जिम्मेदार सीधे तौर पर यूरोपीय देशों को बताया। जर्मनी ने कहा कि, सभी देश रिफ्यूजियों को जगह देने से इंकार करने लगेंगे तो इससे 'आइडिया ऑफ यूरोप' ही खत्म हो जाएगा। ये बच्चा बच सकता था अगर यूरोप के देश इन लोगों को शरण देने से इंकार न करते। यही नहीं तुर्की के प्रेसीडेंट रीसेप अर्डान ने यहां तक कह दिया कि, इंसानियत को इस मासूम की मौत की जिम्मेदारी लेनी होगी। फिलहाल जर्मनी और फ्रांस ने शरणार्थियों के लिए यूरोपीय देशों का कोटा तय कर दिया है। इसके चलते मौजूदा नियमों में ढील दी जाएगी।
फोटोग्राफर के दिल से पूछो
एलन की इस तस्वीर को दुनिया के सामने लाने वाले फोटोग्राफर निलुफेर देमीर ने बताया कि, जब उन्होंने बच्चे को तट पर देखा तो उन्हें लगा कि इस बच्चे में अब जिंदगी नहीं बची है। फिर देमीर ने इसकी तस्वीर लेने का मन बनाया। हालांकि देमीर का यह भी कहना है कि, उन्होंने इस तस्वीर को ऐसे दिखाया ताकि दुनिया को पता चले कि यहां हालात कितने खराब हैं।
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