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- भूपटल में होने वाला आकस्मिक कंपन या गति जिसकी उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से भूतल के नीचे (भूगर्भ में) होती है

-भूगर्भिक हलचलों के कारण भूपटल तथा उसकी शैलों में संपीडन एवं तनाव होने से शैलों में उथल-पुथल होती है जिससे भूकंप उत्पन्न होते हैं।

-ज्वालामुखी क्रिया द्वारा भूगर्भ से तप्त मैग्मा, जल गैसें आदि ऊपर निकलने के लिए शैलों पर तेजी से धक्के लगाते हैं तथा दबाव डालते हैं जिसके कारण भूकंप उत्पन्न होते हैं

-सीमित भूकंप पृथ्वी के अधिक गहराई (300 से 720 किमी.) में वितलीय कारणों से भी उत्पन्न होते हैं।

-पृथ्वीतल पर ऊपर और नीचे, दाहिनी तथा बाई ओर गति उत्पन्न होती है और इसके साथ पृथ्वी में मरोड़ भी होते हैं।

-भूकंप अक्सर ज्वालामुखी क्षेत्रों में भी उत्पन्न होते हैं। यहां इनके दो कारण टेक्टोनिक दोष तथा ज्वालामुखी में लावा की गतियां होती हैं। यह ज्वालामुखी विस्फोट की पूर्व चेतावनी हो सकते हैं।

-वैज्ञानिकों मत है विश्व में प्रति तीन मिनट में एक भूकंप होता है।

- तेज तीव्रता होने पर ही इसका पता चलता है।

-साधारणतया भूकंप के होने के पूर्व कोई सूचना नहीं प्राप्त होती है।

- हालांकि पशु एवं पक्षियों के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है।

- आठ से नौ तीव्रता या इसके ऊपर का भूकंप आने पर उसकी तरंगें जमीन पर दिखना शुरू हो जाती हैं।

-1890 में असम में जो भयंकर भूकंप आया था उसकी तरंगें धान के खेतों में स्पष्ट देखी गई थीं।

- भूकंप के झटके कभी कभी भूस्खलन एवं ज्वालामुखी गतिविधियों को भी पैदा करते हैं।

- भूकंप का आरंभिक बिन्दु हाईपो सेंटर कहलाता है।

-यदि कोई झटका न आए जिसे स्पष्ट रुप से मुख्य झटका कहा जा सके तो इन झटकों के क्रम को भूकंप झुंड कहा जाता है।

-झटके और भूमि का फटना भूकंप के मुख्य प्रभाव है

- भूकंप की श्रृंखला को भूकंप तूफान के नाम से जाना जाता है। जिसमें बाद में आने वाले भूकंप भारी क्षति पहुंचाते हैं।

यह भी जानें

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भूकंप क्षेत्र दो वृत्ताकार कटिबंध में वितरित है। इनमें से एक भूकंप प्रदेश न्यूजीलैंड के निकट दक्षिणी प्रशांत महासागर से आरंभ होकर उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ता हुआ चीन के पूर्व भाग में आता है। यहां से यह उत्तर पूर्व की ओर मुड़कर जापान होता हुआ बेरिंग मुहाने को पार करता है और फिर दक्षिणी अमरीका के दक्षिण-पश्चिम की ओर होता हुआ अमरीका की पश्चिमी पर्वत श्रेणी तक पहुंचता है। दूसरा भूकंप प्रदेश जो वस्तुत: पहले की शाखा ही है, ईस्ट इंडीज द्वीप समूह से प्रारंभ होकर बंगाल की खाड़ी पर बर्मा, हिमालय, तिब्बत, तथा ऐल्प्स से होता हुआ दक्षिण पश्चिम घूमकर ऐटलैंटिक महासागर पार करता हुआ पश्चिमी द्वीपसमूह (वेस्ट इंडीज) होकर मेक्सिको में पहले वाले भूकंप प्रदेश से मिल जाता है। पहले भूकंप क्षेत्र को प्रशांत परिधि पेटी कहते हैं। इसमें 68 प्रतिशत भूकंप आते हैं और दूसरे को रुपसागरीय पेटी कहते हैं इसके अंतर्गत समस्त विश्व के 21 प्रतिशत भूकंप आते हैं।

क्यों आता है भूकंप

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हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है। इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट, ये 50 किलोमीटर की मोटी परत वगरें में बंटी हुई है। जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं तो भूकंप आ जाता है। भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है।

तीव्रता का अंदाजा उर्जा की तरंगों से

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भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केन्द्र से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है। लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं। उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता।

रिक्टर स्केल से पता चलती है भयावहता

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भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल पर 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। इस स्केल के अंतर्गत प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 10 गुणा बढ़ जाती है और भूकंप के दौरान जो ऊर्जा निकलती है वह प्रति स्केल 32 गुणा बढ़ जाती है। इसका मतलब यह है कि 3 रिक्टर स्केल पर भूकंप की जो तीव्रता थी वह 4 स्केल पर 3 रिक्टर स्केल का 10 गुणा बढ़ जाएगी। रिक्टर स्केल पर भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 8 रिक्टर पैमाने पर आया भूकंप 60 लाख टन विस्फोटक से निकलने वाली ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।

Posted By: Inextlive