बादशाह शाहजहाँ नहीं पर शाहजहाँ से कम भी नहीं
न इसमें पच्चीकारी का काम है और न ये कीमती पत्थरों से सजाया गया है.बस जज़्बा वही है जो शाहजहाँ का था. अपनी बीवी से बेपनाह मोहब्बत.बेगम से वादा
लेकिन वो किसी से कोई मदद नहीं लेते. इस पर हसन कादरी कहते हैं, " ये किसी पीर का मज़ार नहीं है. यह सिर्फ मेरी बीवी का मज़ार है और बीवी का मज़ार होने की वजह से अगर मैं किसी से कुछ पैसा लेकर इसमें लगाऊं तो लोग कहेंगे कि कब्र चंदे की है. ये नहीं हो सकता."एहसास
कादरी ने अपनी बेगम को याद करते हुए एक शेर पढ़ा, "मेरी जिंदगी में या रब ये कैसी शाम आई. न दवा ही काम आई और न दुआ ही."जैसे जैसे इस नए ताजमहल की खबर फैली है. आस-पास के देहात के लोग इसे देखने आने लगे हैं.कादरी का ताजमहल