एशिया के सबसे बड़े रेडलाइट इलाक़ो में से एक पश्चिम बंगाल के सोनागाछी में यौनकर्मियों के साथ काम करने वाली शताब्दी जेना के लिए आम दिनों की तरह वो भी एक व्यस्त दिन था.


सोनागाछी में दस हज़ार से अधिक यौन कर्मी रहती हैं. शताब्दी के ऑफ़िस के एक छोटे से कमरे में कई यौनकर्मी मौजूद थीं.आमतौर पर, ये महिलाएं यहां एचआइवी के ख़तरे और उससे निपटने के उपायों को जानने के लिए जमा होती हैं.हालांकि, उस दिन का मुद्दा कुछ अलग था और वह मसला था कि आखिर नक़ली नोटों की पहचान कैसे की जाए.पिछले कुछ महीनों में इन लड़कियों में से कुछ को 500 और 1000 रुपए के नक़ली नोट मिले थे.मुश्किलें और बढ़ीअधिकारियों का मानना है कि ये नकली नोट बांग्लादेश से आ रहे हैं.कमरे में सीमा फोकले भी बैठी थीं. वह अब अधेड़ उम्र की हो चुकी हैं. वह ग़ुस्से में थीं.एक नोट निकालकर ज़मीन पर फेंकते हुए सीमा ने कहा, “यह नोट भी उस आदमी की तरह ही नकली है, जिसने मुझे यह दिया.”
उनके आसपास की महिलाएं भी इस बात से सहमति जताती हैं.आख़िर, यह एक ऐसी समस्या थी, जिनसे उन सब को रोज़ाना ही दो-चार होना पड़ता था.यहां की कई महिलाओं की रोज़ाना आमदनी 100 रुपए से भी कम की है और इस नई समस्या ने तो उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.पुलिस से डर


सोनागाछी जैसे इलाके नक़ली नोटों को चलाने की सबसे आसान जगह हैं, क्योंकि डर की वजह से यहां की महिलाएं पुलिस के पास नहीं जातीं.शताब्दी जेना ने पुलिस में रिपोर्ट लिखाने की बात पर हंसते हुए कहा, “सभी लड़कियां पुलिस के नाम से ही कांपती हैं. उन्हें डर है कि पुलिस के पास जाने से वो गिरफ़्तार हो सकती हैं. वैसे भी एक यौनकर्मी की बात पर यकीन कर रिपोर्ट कौन लिखेगा?”शताब्दी की बातों से हामी भरते हुए एक यौनकर्मी शेफ़ाली ने कहा, “अगर हमारे ग्राहकों को पता चल गया कि हम पुलिस के पास गए थे, तो वो आना ही बंद कर देंगे. इसलिए, चुप्पी में ही भलाई है.”शताब्दी ने सबको चुप होने का इशारा किया. वह अपने पास से 500 रुपए का नोट निकालकर हवा में लहराती हैं, ताकि सभी महिलाएं उसे देख सकें. उन्होंने नोट के बाएं किनारे की तरफ़ इशारा किया, जो ख़ाली दिख रहा है.नोटों की पहचान करने वाली मशीनवह उसे रोशनी में ले गईं और वहां महात्मा गांधी की एक तस्वीर उभरती है, जिस पर 500 लिखा है.सभी महिलाएं हंसी. इसके बाद, शताब्दी ने उन महिलाओं को नक़ली नोट पहचानने के और भी कई तरीक़े सिखाए.

महिलाएं आश्चर्यचकित थीं. जो महिलाएं आमतौर पर एक सेकंड के लिए भी चुप नहीं रहती थीं, वो कई मिनटों तक ख़ामोश हो गईं.हालांकि, कई बार सिर्फ आंखों से नोटों के असली या नक़ली होने का पता लगाना मुश्किल होता है.शताब्दी जिस संस्था ‘दरबार महिला समन्वय समिति’ में काम करती थीं, उसने इसी बात को समझते हुए ही नक़ली नोटों की पहचान करने वाली एक मशीन उस इलाक़े में लगा दी.नकली नोटों में कमीऑफ़िस में लगी मशीन पराबैंगनी किरणों के इस्तेमाल से नक़ली-असली की पहचान करती हैं. मशीन से उन महिलाओं को काफ़ी फ़ायदा हुआ.सीमा फोकले याद करती हैं, “अगर कोई ग्राहक मुझे पैसे देता, मैं तुरंत इस मशीन से उसको जांच लेती. नक़ली नोट होने पर ग्राहक को उसे बदलना पड़ता.”शताब्दी ने बताया कि मशीन के लगने के बाद से इलाक़े में नक़ली नोटों की संख्या में 20 फ़ीसदी की कमी आ गई.भारत में वेश्यावृत्ति ग़ैरक़ानूनी है, लेकिन एक अनुमान के अनुसार 30 लाख से अधिक महिलाएं इस धंधे से जुड़ी हैं.वैसे, विशेषज्ञों के हिसाब से यह आंकड़े और भी अधिक हो सकते हैं.इस ग़ैरक़ानूनी सेक्स व्यापार में कई ऐसी बच्चियां भी हैं, जिन्हें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे ग़रीब इलाक़ों से तस्करी करके लाया गया है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh