केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार आज 22 वें दिन में प्रवेश कर गया है बावजूद इसके किसान नेताओं और सरकार के बीच बात बनती नहीं दिख रही है। केंद्र सरकार सरकार और किसान संगठन अपने-अपने मुद्दों पर डटे हैं।


नई दिल्ली (एएनआई)। देश की राजधानी दिल्ली में पड़ रही कड़ाके की ठंड के बीच उसकी विभिन्न सीमाओं पर हजाराें की संख्या में किसान एकत्र है। हरियाण, पंजाब समेत कई राज्याें से आए किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लागातार 22 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन के दाैरान सरकार और किसान नेताओं के बीच करीब 5 बार वार्ता हुई लेकिन बात नहीं बनी। कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसान प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं। इस दाैरान एक प्रदर्शनकारी ने कहा, हमने सरकार से ये कानून नहीं मांगे थे, हम सरकार से मांगते हैं कि हमारी फसल का दाम बढ़ाओ लेकिन वो बढ़ाते नहीं हैं। वहीं सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बढ़ती ठंड से बचने के लिए गैस हीटर लगाए हैं। एक प्रदर्शनकारी ने बताया, लोग लकड़ी जलाकर अपना काम चला रहे हैं। किसान नेताओं ने कुछ हीटर मंगाए हैं लेकिन ये गैस से चलते हैं, इनमें खर्चा है।

पंजाब के किसानों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही
वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर किसान सम्मेलन में कहा कि पंजाब के किसानों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। दूसरी तरफ आप जैसे किसान नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों का समर्थन करने के लिए इकट्ठा हुए। मैं आप सब का स्वागत और अभिनंदन करना चाहता हूं।स्वामीनाथन कमेटी ने कहा कि किसान की लागत पर 50% मुनाफा जोड़कर MSP घोषित होना चाहिए। स्वामीनाथन कमेटी ने अपनी सिफारिशें 2006 में UPA सरकार को पेश की परन्तु निर्णय नहीं लिया गया। लेकिन मोदी सरकार ने लागत पर 50% मुनाफा जोड़कर MSP घोषित करने का काम किया है।

Posted By: Shweta Mishra