ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट को मार्च 2015 तक 2000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। वेबसाइट को यह घाटा मुख्य तौर पर ग्राहकों को दिए गए डिस्काउंट बैकएंड और लॉजिस्टिक ऑपरेशन में निवेश की वजह से हुआ।


बड़े पैमाने पर खर्चफ्लिपकार्ट इंटरनेट, जो ग्राहकों के लिए पोर्टल चलाती है, उसे 1,096 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। कंपनी की होलसेल फर्म फ्लिपकार्ट इंडिया को 836 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। कंपनी ने ये आकंड़े कंपनी रजिस्ट्रार में फाइलिंग दौरान दिए। एक साल पहले कंपनी को 715 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। कंपनी के पिछले महीने के आंकड़ों के मुताबिक बिक्री 10,390 करोड़ रुपये की रही। कंपनी ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया। पिछले 18 महीनों के दौरान फ्लिपकार्ट ने निवेशकों से करीब 17 हजार करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई। कंपनी डिस्काउंट, मार्केटिंग, टेक्नोलॉजी और वेयरहाउस बनाने में बड़े पैमाने पर खर्च कर रही है। स्नैपडील और अमेजन इंडिया से कंपनी का जोरदार कंपीटिशन है। सामान का कमीशन लेती
भारत में ऑनलाइन रिटेल में विदेशी निवेश की इजाजत नहीं है। इसलिए सिंगापुर में रजिस्टर्ड फ्लिपकार्ट ने विदेशी निवेशकों से पैसे जुटाने के लिए कई तरह की कंपनियों का जाल बनाया है। फ्लिपकार्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से सामान खरीदती है। इसके बाद ये सामान अपने से जुड़ी डब्लूएस रिटेल नाम की कंपनी को बेचती है। फिर ग्राहकों को सारा सामान डब्लूएस रिटेल ही बेचती है। फ्लिपकार्ट के पास 50 हजार से ज्यादा थर्ड पार्टी सामान बेचने वाले पार्टनर भी है। कंपनी टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म और लॉजिस्टिक सेवा देकर वेबसाइट पर बिकने वाले सामान का कमीशन लेती है। फ्लिपकार्ट इंडिया होलसेल कैश एंड कैरी कंपनी है, जबकि फ्लिपकार्ट इंटरनेट वेबसाइट चलाने वाली कंपनी जो हर बिक्री पर कमीशन लेती है। फिलहाल कंपनी का वैल्यूएशन करीब एक लाख करोड़ रुपये है।

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Posted By: Shweta Mishra