जयतु जय विश्वविद्यालय इलाहाबाद
इविवि में पहली बार किसी छात्र ने लिखी वंदना
साइंस स्ट्रीम के हैं विवेक रंजन सिंह vikash.gupta@inext.co.in ALLAHABAD: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र और गुरुजन जब तब आमने सामने होते रहते हैं। अक्सर इविवि का नाम बमबाजी, लड़ाई- झगड़े और विरोध प्रदर्शनो को लेकर ही सुर्खियां बटोरता है। कुलपति भी ज्यादातार छात्रों के निशाने पर रहते हैं। ऐसे समय में इविवि के ही एक छात्र ने सकारात्मक दिशा की ओर कदम बढ़ाया है। छात्र ने इविवि की गौरवगाथा का बखान करते हुये विश्वविद्यालय को समर्पित एक वंदना लिखी है। जिसकी चहुंओर तारीफ हो रही है। कुलपति ने खुद किया विमोचनखास बात यह है कि वंदना लिखने वाला छात्र विवेक रंजन सिंह बीएससी का स्टूडेंट है। हाल ही में विवेक ने इविवि में फिजिक्स से बीएससी कंपलीट किया है और अब वे अंग्रेजी विभाग से फ्रेंच में डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहे हैं। विवेक ने बताया कि यह वंदना उन्होंने करीब एक साल पहले लिखी थी। जिसका विमोचन 15 अगस्त के दिन सीनेट हाल में खुद इविवि के वाइस चांसलर प्रो। आरएल हांगलू ने किया है। विवेक ने बताया कि विमोचन करने वालों में रजिस्ट्रार डॉ। एनके शुक्ला, चीफ प्रॉक्टर प्रो। आरएस दुबे, प्रो। अनीता गोपेश, डॉ। ज्योति मिश्रा शामिल थीं। इसमें संगीत विभाग की डॉ। ज्योति मिश्रा ने वंदना को संगीतबद्ध किया है। विवेक अमेठी के शहरी ग्राम के रहने वाले हैं और कृषक परिवार से संबंध रखते हैं।
ये है छात्र की वंदना जयतु जय जय विश्वविद्यालय इलाहाबाद, चमके चहुं दिशि तेरी आभा, गूंजे जय जय नाद, जयतु जय जय विश्वविद्यालय इलाहाबाद। धरती पावन है तुम्हारी, गंगा यमुना धार, निहित कण कण में सरस्वती, महिमा अपरंपार, तीनों के संगम से तेरा हो रहा उद्धार जयतु जय जय विश्वविद्यालय इलाहाबाद। साहित्य देकर जग को तुमने, दिया गौरव ज्ञान, कला संस्कृति सभ्यता की दी किरण महान, तेरी आभा से चमकती हस्तियां महान, जयतु जय जय विश्वविद्यालय इलाहाबाद। राजनीति के तुम हो दाता, निहित छवि विज्ञान, तुमसे ही जन्मा प्रशासन, अखिल भारत ज्ञान, कर रहे हैं नित्य वंदन हे जगद्गुरूराज, जयतु जय जय विश्वविद्यालय इलाहाबाद। मेरी वंदना की समीक्षा हिन्दी विभाग के शिक्षकों ने की। उन्होंने कुछ खामी बताई। लेकिन, कुलपति जी ने जब जाना की एक छात्र ने वंदना लिखी है तो उन्होंने खुद आगे आकर मेरा उत्साहवर्धन किया और इसके विमोचन का निर्णय लिया। अभी विवि का अपना कुलगीत खास मौकों पर गाया जाता है। मेरी इच्छा है कि विवि के महत्वपूर्ण आयोजनो में मेरी वंदना का पाठ किया जाये।-विवेक रंजन सिंह,
वंदना के लेखक