खतरे का संकेत दे रही है गंगा-यमुना

- जलस्तर तेजी से शुरू हो गया बढ़ना, अभी खतरे के निशान से है नीचे

- लेकिन किनारे आबाद बस्ती है खतरे में

- पिछले साल पहाड़ का पानी से ही बिगड़ी थी हालत

- तैयारी पूरी रखने का प्रशासन का दावा

ALLAHABAD: जून और जुलाई में इस साल औसत से काफी कम बरसात हुई है। फिर भी गंगा-यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। क्योंकि मैदानी इलाके भले ही सूखे हैं, लेकिन उत्तराखंड और हिमाचल के पहाड़ों पर जबर्दस्त बारिश हो रही है। इसलिए सावधान हो जाइए, क्योंकि आ रहा है पहाड़ों का पानी। हालांकि, गंगा-यमुना का जलस्तर अभी खतरा बिंदू से काफी नीचे है। इसलिए लोग राहत महसूस कर रहे हैं। लेकिन, यह राहत लम्बे समय तक नहीं रहने वाली। सैटरडे को जहां एक मीटर पानी बढ़ा था। वहीं संडे को करीब आधा मीटर जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई।

पहाड़ों पर हो रही जमकर बारिश

उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में अभी तक खास बारिश नहीं हुई है। लेकिन पहाड़ों पर जमकर बारिश हो रही है। उत्तराखण्ड में नदियां उफान पर हैं। हिमाचल में भी जबर्दस्त बारिश हो रही है। अन्य स्टेट्स में भी नदियों में वॉटर लेवल काफी ऊपर आ पहुंचा है। नदियों पर बने बांध में पानी का लेवल तेजी से बढ़ रहा है। जल्द ही इनसे भी पानी छोड़ने की नौबत आ जाएगी।

शुरू हो गई है हलचल

गंगा-यमुना के तटवर्ती इलाकों में हलचल शुरू हो गई है। लेकिन लोकल एडमिनिस्ट्रेशन अभी जलस्तर और बढ़ने का इंतजार कर रहा है। प्रभारी अधिकारी बाढ़ खंड एवं एडीएम एफआर का कहना है कि भी गंगा-यमुना का जलस्तर खतरा बिंदू से काफी नीचे है। इसलिए फिलहाल अभी खतरा जैसी कोई संभावना नहीं है। वहीं सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड इकाई के अधिशासी अभियंता राजेश यादव ने बताया कि जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए सतर्कता बढ़ा दी गई है। जलस्तर पर नजर रखी जा रही है.इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के जियोग्राफी विभाग के प्रो। एसएस ओझा के अनुसार पहाड़ों पर बारिश होगी तो फिर पहाड़ों का पानी मैदानी इलाकों में ही आएगा। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हो रही भीषण बारिश की वजह से गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ने लगा है। पहाडी इलाकों में इसी तरह बारिश होती रही, और इसी बीच अगर मैदानी एरियाज में भी बारिश हुई तो नदियों के किनारे रहने वालों की मुसीबतें बढ़ना तय है।

तो इस बार भी डूबेगा शहर

पिछले साल सिटी के बड़े एरियाजमें बाढ़ का प्रभाव रहा था। इसके पीछे पहाड़ों के पानी की विशेष भूमिका रही। वहीं सिटी में ध्वस्त सीवर लाइन और खस्ताहाल वॉटर डै्रनेज सिस्टम ने भी इम्पॉर्टेट रोल प्ले किया था। सिटी की कंडीशन में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है। अभी भी सीवर और स्ट्राम वॉटर ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त पड़े हैं। पहाड़ों का पानी जब किनारों को डुबाएगा और सिटी में बरसात होगी तो बाढ़ की समस्या में और इजाफा हो सकता है। गंगा और यमुना किनारे के लगभग तीन दर्जन से अधिक इलाकों, सैकड़ों मोहल्लों और कॉलोनियों में पानी भरा सकता है.पिछले साल की बाढ़ से अभी तक लोकल एडमिनिस्ट्रेशन ने सबक नहीं लिया है। एडीएम एफआर का कहना है कि अभी गंगा-यमुना का जलस्तर खतरा बिंदू से काफी नीचे है। इसलिए तत्काल अलर्ट जारी करने जैसी कोई बात नहीं है।

सैटरडे को एक तो संडे को आधा मीटर बढ़ा पानी

सैटरडे से गंगा और यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। सैटरडे को ख्ब् घंटे में जहां एक मीटर जलस्तर बढ़ा था। वहीं संडे की शाम पांच बजे तक करीब आधा मीटर जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई।

संडे का वॉटर लेवल

गंगा- फाफामऊ-78.7ब् मीटर

छतनाग- 7भ्.0फ् मीटर

यमुना- नैनी- 7भ्.म्म् मीटर

----------

वार्निग लेवल- 8फ्.7ब् मीटर

डेंजर लेवल- 8ब्.79 मीटर

पानी बढ़ने पर ये इलाके आते हैं सबसे पहले चपेट में-

छोटा बघाड़ा, सलोरी, ओम गायत्री नगर, गऊघाट, दरियाबाद

- उत्तराखंड के पहाड़ों पर हो रही बारिश की वजह से गंगा और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों पर हो रहे बारिश की वजह से यमुना के जलस्तर में होती है वृद्धि

पिछली बार सलोरी एसटीपी का रिंग बंधा टूटा था, जो अभी तक तैयार नहीं हुआ है। वहीं मेंदौरी एसटीपी भी अभी तक तैयार नहीं है, जो गंगा के बीच में बन रहा है। जलस्तर बढ़ने पर इस बार भी शहर डूबेगा,

इन इलाकों पर मंडरा रहा है खतरा-

छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, धरहरिया, गोविंदपुर, शिवकुटी, तिल्ला, सादियाबाद, ओम गायत्रीनगर, सलोरी, चांदपुर सलोरी, मेंदौरी, बेली गांव, राजापुर, अशोकनगर। दारागंज, बलुआघाट, मीरापुर, दरियाबाद, करामत चौकी, राजरूप पुर, मुंडेरा।

Posted By: Inextlive