माघ मेले से पहले साधु-संतों में नाराजगी, आंदोलन की तैयारी

ALLAHABAD: माघ मेले से ऐन पहले फिर गंगाजल काला हो गया है। नरौरा और टिहरी से छोड़ा गया पानी अभी यहां पहुंचा ही नहीं, फिर गंगाजल का रंग कैसे बदल गया, यह बड़ा सवाल है। पानी काला होने से नाराज लोगों ने रविवार को रामघाट पर प्रदर्शन भी किया।

संतों ने किया प्रदर्शन

नागवासुकी, दशाश्वमेघ घाट, रामघाट, काली घाट सहित संगम के भी कुछ क्षेत्र में गंगाजल काला नजर आने से श्रद्धालुओं में बेचैनी है। वजह समझ से परे। वैसे हर साल ऐसा होता है, पर मेले के दौरान ही होहल्ला मचता है। रविवार को रामघाट पर स्नान करने गए कांग्रेस नेता निशांत त्रिपाठी, धीरज त्रिपाठी सहित आदि ने प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि कानपुर से टेनरियों तथा इलाहाबाद व आसपास के बड़े नालों का पानी गंगा में छोड़ा जा रहा है, इससे यह नौबत आई है। अधिकारी इस संबंध में कुछ कहने से बच रहे हैं। सिंचाई विभाग बाढ़ प्रखंड के अधिशासी अभियंता मनोज सिंह का कहना है कि नरौरा और टिहरी से छोड़ा गया पानी अभी इलाहाबाद पहुंचा ही नहीं है, ऐसे में पानी कैसे काला हुआ, यह जांच का विषय है।

गंगाजल को लेकर साधु संत भी आक्रोशित हैं। टीकरमाफी आश्रम के महंत स्वामी हरिचैतन्य ब्रहृमचारी कहते हैं कि माघ मेला शुरू होने से पहले हर साल गंगाजल का रंग क्यों बदल जाता है, अधिकारियों को इसकी जांच करानी चाहिए। भक्त यहां गंगाजल में स्नान के लिए आते हैं, गंदे पानी में नहीं।

Posted By: Inextlive