चार ऐसे भारतीय कानून, सिर्फ महिलाओं की सुनते हैं आदमियों की नहीं
1. दहेज हत्या कानून :-
यदि किसी महिला की शादी के सात साल के भीतर अस्वाभाविक मृत्यु हो जाती है, तो उसके पति के खिलाफ केस दर्ज होना पक्का है। हालांकि जांच के दौरान भले ही पति और सुसराल के खिलाफ कोई सबूत न मिला हो फिर भी दहेज हत्या के केस में पति और उसके घरवालों को सात साल के जेल हो सकती है।
2. सेक्सुअल हैरसमेंट एंड रेप कानून :-
एक महिला पुलिस स्टेशन में जाकर किसी आदमी के खिलाफ रेप की एफआईआर दर्ज कराती हैं। तो उस आरोपी को तुंरत अरेस्ट कर लिया जाएगा, वो भी बिना किसी सबूत के। हालांकि इस कानून का अब दुरुपयोग भी होने लगा है। कई महिलाएं रेप का झूठा आरोप लगाकर व्यक्ित से जबरन पैसे वसूलने लगी हैं।
3. घरेलू हिंसा कानून :-
यह अभी तक का सबसे विवादित कानून है। इस कानून के तहत यदि कोई महिला अपने पति या ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा के तहत केस दर्ज कराती है तो इन्हें पहले ही अपराधी डिक्लेयर कर दिया जाता है। और बाद में जब केस चलता है तो ससुराल वालों को खुद को बेकसूर साबित करना होता है। अगर आरोपी को जेल हो जाती है तो वो भी नॉन-बेलेबल होती है। अक्सर मामलों में देखा जाता है कि आरोपी को इनवेस्टिगेशन से पहले ही गिरफ्तार कर लिया जाता है।
4. विवाहेत्तर संबंध :-
इस कानून का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को होता है। उदाहरण के तौर पर..रजत और स्मिता एक शादीशुदा कपल हैं। लेकिन स्मिता का बाहर किसी रोहन नाम के लड़के के साथ अफेयर हो जाता है और उनके बीच शारीरिक संबंध बनते हैं ( यह न तो रेप था और न ही जबरदस्ती) यानी कि दोनों रजामंदी से यह काम करते हैं। लेकिन स्िमता का पति जब इस मामले को कोर्ट तक ले जाता है तो रोहन को पांच साल की सजा हो जाती है लेकिन स्िमता बच जाती है। अब इस उदाहरण से साफ पता चलता है कि इस कानून से किसे सबसे ज्यादा फायदा पहुंचता है।