- गोरखपुर डिपो की 17 बसों की खिड़कियों के शीशे हैं टूटे

- ठंड से पहले टूटी खिड़कियों की करानी होती है मरम्मत

GORAKHPUR: ठंड बढ़ने के साथ ही गलन शुरू हो गई है। इस मौसम लोग बेहद जरूरी होने पर ही सफर पर निकल रहे हैं। लेकिन, यदि आप रोडवेज की बस से सफर करने वाले हैं तो बस में बैठने से पहले उसकी हालत जरूर देख लें। कहीं ऐसा न हो कि जब बस चलें तो टूटी खिड़कियों से लगने वाली ठंडी हवाओं से आपकी तबीयत खराब हो जाए। जी हां, सिर्फ गोरखपुर डिपो की ही 17 बसों की खिड़कियां पूरी तरह से टूटी हुई हैं। जबकि इनकी मरम्मत ठंड के पहले ही कर ली जानी थी।

गोरखपुर रीजन में 548 बसें

यूपी रोडवेज के गोरखपुर रीजन में कुल 548 बसों का संचालन होता है। वहीं रीजन के गोरखपुर डिपो में निगम की करीब 80 और 88 अनुबंधित बसें हैं। अनुबंधित बसों को छोड़ दें तो निगम की बसों में 17 बसें ऐसी हैं जिनकी खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं। इन बसों में भी अधिकतर लंबी दूरी वाली यानी दिल्ली, कानपुर और लखनऊ जाने वाली बसें हैं। निगम की लापरवाही के कारण भीषण ठंड में इन बसों में पैसेंजर्स यात्रा करने को मजबूर हो रहे हैं।

एक्सीडेंट में टूटते गए शीशे

गोरखपुर डिपो के वर्कशॉप में तैनात फोरमैन ने नाम पब्लिश नहीं करने की शर्त पर बताया कि बसों की मरम्मत कराई जाती है लेकिन कुछ बसों के शीशे टूटे हैं, जिन्हें रूट से आने के बाद ही बदला जाएगा। कुछ बसों के शीशे एक्सीडेंट में टूट गए थे। वर्कशॉप में आते ही उनकी रिपेयरिंग के साथ-साथ टूटे हुए शीशे भी बदल दिए जाते हैं।

कोट्स

दिल्ली से आने के दौरान पीछे की सीट खाली थी। वहीं बैठ गया था, लेकिन शीशा टूटा हुआ था। हवा तेज लग रही थी। कैप लगाकर बैठने के बाद भी हालत खराब हो गई। कंडक्टर से शिकायत के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ।

रवि कुमार गुप्ता, बिजनेस मैन

यूपी रोडवेज खुद को हाईटेक करने का दावा भले ही करता हो लेकिन हालत यह है कि बसें जर्जर हैं। गोरखपुर डिपो की बस से लखनऊ जा रहा था। बस के शीशे टूटे हुए थे। बर्दाश्त नहीं होने पर मुझे आधे रास्ते से दूसरे बस से जाना पड़ा।

पंकज, प्रोफेशनल

मैं बस्ती में जॉब करता हूं। यूपी रोडवेज की बसों से आता-जाता हूं। इसकी अधिकतर बसों के शीशे टूटे हुए हैं। शिकायत करने पर भी कोई सुनने को तैयार नहीं होता है। इसलिए मैं बसों को चेक करके ही बैठता हूं।

प्रदीप त्रिपाठी, सर्विसमैन

वर्जन

चाहे निगम की बस हो या फिर अनुबंधित बसें, सभी की मॉनिटरिंग की जाती हैं। उसके बाद ही रूट पर भेजा जाता है। अगर शीशे टूटे हैं या बस गंदी हैं तो उसकी मरम्मत व सफाई के बाद ही रवाना किया जाता है। इसकी जिम्मेदारी ड्यूटी बाबू को दी गई है।

- आरके मंडल, एआरएम, गोरखपुर डिपो

ठंड के बढ़ते ही सभी डिपो के एआरएम को निर्देशित कर दिया गया है कि वे अपने फोरमैन को निर्देशित कर सभी टूटे हुए शीशे को बदलवा दें। निरीक्षण के दौरान टूटे शीशे पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- सुग्रीव कुमार राय, आरएम, यूपी रोडवेज, गोरखपुर रीजन

Posted By: Inextlive