-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के सर्वे में 16 परसेंट ने जताई खुशी

-35 साल पार कर चुके लोगों में हंड्रेड परसेंट पब्लिक नाराज

GORAKHPUR:

शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने की बातें बेमानी साबित हो रही है। ट्रैफिक पुलिस, नगर निगम और थानों की पुलिस चाहे जितनी कोशिश कर लें, लेकिन हालात बदलने के नाम नहीं ले रहे हैं। शहर के ट्रैफिक मैनेजमेंट को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने एक सर्वे किया था। अलग-अलग उम्र, प्रोफेशन, सफर करने के तौर-तरीकों को लेकर किए गए सर्वे में 8भ् फीसदी लोगों ने शहर के ट्रैफिक सिस्टम से नाराजगी जताई। सर्वे में शामिल लोगों में महज क्म् प्रतिशत लोग ही व्यवस्था से संतुष्ट नजर आए। शहरी आबादी में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं ट्रैफिक व्यवस्था से दुखी हैं।

सर्वे के अनुसार, पुरुषों में 8ख् प्रतिशत और 8भ् प्रतिशत महिलाएं ट्रैफिक सिस्टम से नाखुश हैं। शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सौ फीसदी बिजनेसमैन को भी पसंद नहीं आ रही है। इस शहर में रोजाना सफर करने वाले प्रोफेशनल म्9 और 8फ् स्टूडेंट्स ने भी मैनेजमेंट को बेहद खराब बताया है।

हम अपने मौजूदा संसाधनों से ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने की कोशिश में जुटे हैं। यह पब्लिक की अपनी राय है। यदि किसी को व्यवस्था पसंद नहीं आ रही तो लोग अपनी राय रख सकते हैं। आने वाले दिनों में व्यवस्था पहले से ज्यादा बेहतर नजर आएगी। इसकी लगातार कोशिश की जा रही है।

आदित्य प्रकाश वर्मा, एसपी ट्रैफिक

ट्रैफिक सुधार को लेकर काम चल रहा है। लेकिन अभी भी तमाम समस्याएं दूर नहीं हो पाई हैं। हर बार सोमवार को लोगों को जाम से जूझना पड़ता है। ऐसे में कैसे कहा जाए कि ट्रैफिक व्यवस्था सुधर चुकी है। ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी बदलना होगा।

डॉ। योगेश प्रताप सिंह, पूर्व उपाध्यक्ष, डीडीयूजीयू

शहर के कई चौराहे बेतरतीब बने हैं। काफी पहले उनकी इंजीनियरिंग सुधारने के संबंध में बात हुई थी। लेकिन विभिन्न विभागों के को-आर्डिनेशन के अभाव में यह बात आगे नहीं बढ़ पा रही है। कार लेकर चलने पर कई जगहों पर फंसना पड़ता है। इससे आवागमन में असुविधा होती है।

सतीश सिंह, इंजीनियर

शहर में सुबह और दोपहर में ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ी नजर आती है। स्कूलों में छुट्टी होने के दौरान बड़ी बसें चलती हैं। इसलिए शहर में जाम की बड़ी वजह बनती हैं। इसके अलावा अतिक्रमण भी बड़ा कारण हैं, जिससे पब्लिक को प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है।

पुण्य प्रतीक चौहान, स्टूडेंट

ट्रैफिक मैनेजमेंट ठीक न होने से काफी प्रॉब्लम झेलनी पड़ती है। सारा टाइमटेबल खराब हो जाता है। इसका असर अन्य कामकाज पर पड़ता है। रेती चौक, घंटाघर, अलीनगर में लगने वाले जाम की वजह से बाजार जाने के लिए हिम्मत जुटानी पड़ती है।

नेहा, प्रोफेशनल

Posted By: Inextlive