- यूपी विधानमंडल के बजट सत्र की शुरुआत में हुआ जोरदार हंगामा

- अभिभाषण देने आए राज्यपाल को विपक्ष ने वापस जाने को कहा

- नारों और हंगामे के बीच राज्यपाल ने पूरा किया अपना अभिभाषण

LUCKNOW :

विधानमंडल के बजट सत्र की शुरुआत ठीक वैसे ही रही जिसकी आशंका पहले से जताई जा रही थी। सर्वदलीय बैठक में सदन को सुचारू रूप से चलाने की सहमति बनने के बाद भी बुधवार को शुरू हुए बजट सत्र में राज्यपाल राम नाईक के अभिभाषण के दौरान विपक्ष ने पिछले साल हुए विशेष सत्र की तरह जमकर हंगामा किया। खासतौर पर समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने पहले की तरह अभिभाषण के दौरान राज्यपाल पर कागज के गोले फेंके, सदन में कागज के जहाज और गुब्बारे उड़ाए और राज्यपाल के आसन की ओर जाने का प्रयास किया। किसी तरह मार्शल ने उन्हें आगे बढ़ने से रोका। यह देख राज्यपाल को अपने अभिभाषण को रोककर कहना पड़ गया कि 'आप लोग सभ्य समाज के प्रतिनिधि हैं, उसके मुताबिक ही आचरण करें'।

हंगामे के बाद भी नहीं डिगे राज्यपाल

संयुक्त सत्र में अभिभाषण देने आए राज्यपाल को विपक्ष ने बोलने से पहले ही 'राज्यपाल वापस जाओ' के नारे लगाने शुरू कर दिए। राज्यपाल के साथ विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित और सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी सदन में प्रवेश किया। करीब पांच मिनट देरी से शुरू हुए राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सपा, बसपा और कांग्रेस के सदस्य सदन में बैनर, पोस्टर लहराते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा के सदस्यों ने पहले तो जमकर नारेबाजी की, बाद में वह कागज का भोंपू बनाकर शोर मचाने लगे ताकि राज्यपाल अपना अभिभाषण पूरा न कर सकें। करीब एक घंटा बीस मिनट तक राज्यपाल ने हंगामे की परवाह न करते हुए सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया। सपा सदस्यों ने इसमें व्यवधान डालने की हर कोशिश की जबकि बसपा और कांग्रेस के सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर विरोध जताते रहे। वहीं राज्यपाल द्वारा सरकार की तमाम उपलब्धियों का बखान करने पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जोरदार तरीके से मेज थपथपाकर स्वागत किया। अभिभाषण का अंत होता देख सपा के विधायक और एमएलसी राज्यपाल के आसन की ओर बढ़ने लगे जिन्हें वहां मौजूद मार्शलों ने आगे नहीं जाने दिया। राज्यपाल के जाते ही सदन को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया गया। थोड़ी देर बाद शुरू हुए सदन में कुछ विधायी कार्य निपटाने के बाद सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गयी।

कासगंज, एनकाउंटर, किसानों को लेकर विरोध

राज्यपाल के अभिभाषण में सपा के कुछ एमएलसी अपने गले में आलू की माला पहनकर विरोध जता रहे थे। इसके अलावा तमाम सदस्य 'निर्दोषों का एनकाउंटर बंद करो, पत्रकारों पर अत्याचार बंद करो, कासगंज सांप्रदायिक हिंसा में निर्दोषों पर जुल्म बंद करो, भाजपा सरकार मस्त है कानून-व्यवस्था ध्वस्त है, जैसे तमाम नारे लिखे पोस्टर लेकर आए थे। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर भी तमाम नारे लगाए, लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्य शांति से अभिभाषण को सुनते रहे।

विधानसभा अध्यक्ष ने दिया धन्यवाद

अभिभाषण का अंत होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने राज्यपाल क ो धन्यवाद देते हुए कहा कि विपक्ष के निंदनीय आचरण के बावजूद आपने अपने संवैधानिक दायित्व को पूरा किया। कुछ सदस्यों ने आपको अभिभाषण देने से रोकने की कोशिश की लेकिन सभी व्यवधानों के बावजूद आपने इसे पूरा किया जिसके लिए यह सदन आपका आभारी है।

सुधर जाए लाल टोपी वर्ना जनता सबक सिखाएगी : योगी

अभिभाषण के दौरान विपक्ष के हंगामे की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों से कहा कि विपक्ष ने सदन में अमर्यादित, असंसदीय और असभ्य आचरण किया जिसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम होगी। खासतौर पर सपा पर निशाना साधते हुये बोले कि लाल टोपी अपने आचरण में सुधार लाए, वर्ना जनता इन्हें सबक सिखा देगी। सबने देखा कि सपा सदस्यों ने राज्यपाल को निशाना बना कर कागज के गोले फेंके और गुब्बारे उड़ाए, यह लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास है। दरअसल विपक्ष कमजोर और गरीबों की आवाज को दबाना चाहता है पर वह अपने मकसद में कभी कामयाब नहीं होगा। विधानसभा अध्यक्ष ने भी विपक्ष के इस आचरण की निंदा की है।

लाल टोपी देश की आजादी का प्रतीक

नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने मुख्यमंत्री के हमले का करारा जवाब देते हुये कहा कि लाल टोपी देश की आजादी का प्रतीक है। भगवा रंग वालों ने अंग्रेजों का साथ दिया था। भगवा रंग हमारी आस्था का प्रतीक था, भाजपा ने उसे आलोचना का प्रतीक बना दिया। भाजपा भगवान राम की तरह अब भगवा रंग का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रही है। तिरंगा यात्रा के नाम पर भगवा झंडे का इस्तेमाल करना तिरंगा का अपमान है। राज्यपाल का अभिभाषण असंवैधानिक था। पहली बार राज्यपाल का अभिभाषण 15 मिनट देरी से शुरू हुआ। राज्यपाल का अभिभाषण झूठ का पुलिंदा था, इसलिये विपक्ष ने इसका विरोध किया। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त है, कासगंज हिंसा सरकार पर कलंक है। भाजपा से जुड़े संगठनों आरएसएस और बजरंगदल के लोगों ने मुसलमानों पर हमला किया। पुलिस निर्दोषों को जेल भेज रही है। सीएम को नसीहत देते हुये कहा कि वह भी मर्यादित भाषा का इस्तेमाल करें।

खोदा पहाड़, निकली चुहिया

बसपा दल के नेता लालजी वर्मा ने राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पूरा भाषण सुनने के बाद लगता है कि खोदा पहाड़ और निकली चुहिया। अभिभाषण में रोजगार की बात नहीं की गयी है। यह भाषण प्रदेश को विकास के पथ से पीछे ले जाने वाला है। प्रदेश सरकार की देखरेख में कासगंज का माहौल खराब किया गया। भू-माफिया के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है। इनका हर वादा खोखला है। वहीं कांग्रेस दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने अभिभाषण को झूठ का पुलिंदा बताते हुए कहा कि कांग्रेस सदस्य किसानों की समस्याओं को सरकार के सामने रखना चाहते थे। यह सरकार निर्दोष लोगों का एनकाउंटर कर वाहवाही लूट रही है। प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति बदतर होती जा रही है।

राज्यपाल को दिया गया प्रोटोकॉल

साल के पहले सत्र की शुरुआत में राज्यपाल राम नाईक को परंपरागत रूप से प्रोटोकॉल के मुताबिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। राजभवन से चलते समय सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया तो विधान भवन पहुंचने पर उन्हें नेशनल सैल्यूट दिया गया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उन्हें सम्मान के साथ मुख्य मंडप तक लेकर आए। ध्यान रहे कि इस परंपरा की शुरुआत पिछले साल शुरू हुए विशेष सत्र में हुई थी।

केशव मौर्या ने मिलाया सबसे हाथ

सदन शुरू होने से पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने विपक्ष की बेंच की ओर जाकर सबका अभिवादन किया। उन्होंने सपा, बसपा और कांग्रेस के हरेक सदस्य से हाथ भी मिलाया। वहीं कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सपा एमएलसी संजय लाठर के गले मे पड़ी आलू की माला को छुआ और जोर से मुस्करा दिए।

पोस्टर के साथ खिंचाई फोटो

अभिभाषण के दौरान जहां सपा के सदस्य नारेबाजी और हंगामा कर रहे थे, बसपा और कांग्रेस के तमाम सदस्य नारे लिखे पोस्टर्स के साथ फोटो खिंचवाने में जुटे थे। वे एक दूसरे के मोबाइल से पोस्टर हाथ में लेकर फोटो खिंचवाते रहे।

Posted By: Inextlive