तो क्या बच्चे पी रहे हैं सिंथेटिक दूध?
-जिले में कुल दूध का उत्पादन 92 हजार लीटर
-जरूरत है 1.25 लाख लीटर दूध की डिस्ट्रिक्ट में जरूरत -जिले में कुल दूध का उत्पादन 9ख् हजार लीटर -जरूरत है क्.ख्भ् लाख लीटर दूध की डिस्ट्रिक्ट में जरूरत BAREILLYBAREILLY: परिषदीय स्कूल में बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए भले ही सरकार की ओर से एमडीएम में दूध परोसा जा रहा हो, लेकिन यह दूध कितना हेल्दी है। क्योंकि बरेली में हर रोज जितनी मात्रा में दूध का उत्पादन हो रहा है। वह पब्लिक के लिए ही नाकाफी है। बावजूद इसके दूध प्रोवाइड करा रही एजेंसी लोकल स्तर से ही दूध खरीदने की बात कर रही है। ऐसे में, बड़ा सवाल है कि जब दूधिए जिले के लिए ही दूध आपूर्ति करने में सक्षम नहीं हैं तो फिर एजेंसी किन लोगों से दूध खरीद रही है। 9ख् हजार लीटर उत्पादनडिस्ट्रिक्ट में रोजाना करीब 9ख् हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। जबकि यहां डिमांड करीब क्.ख्भ् लाख लीटर दूध की है। मिडडेमील में बच्चों को ख्00 ग्राम उबला दूध दिए जाने की व्यवस्था के बाद वेडनसडे को तकरीबन भ्0 हजार लीटर दूध की डिमांड बढ़ जाती है। बच्चों की म्0 परसेंट प्रजेंस पर दूध की यह डिमांड है। डिस्ट्रिक्ट में प्राइमरी के कुल स्टूडेंट्स की स्ट्रेंथ ब् लाख क्0 हजार है। इस लिहाज से दूध की डिमांड डिस्ट्रिक्ट में डेली पैदा हो रहे दूध के बराबर पहुंच जाती है। सभी बच्चे हाजिर हो तो फिर बच्चे दूध पी सकते हैं या फिर जिले के लोग। ऐसे में, इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता है कि बच्चों को परोसा जा रहा दूध मिलावटी है। या तो बच्चों को पानी मिला दूध पिलाया जा रहा है या फिर सिंथेटिक दूध है।
मथुरा में बच्चे हुए थे बीमार पिछले दिनों मथुरा के परिषदीय स्कूल में एमडीएम के दौरान दूध पीने से क्ख्7 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई थी। इसमें तीन बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद पूरे सूबे में एनजीओ संचालकों को निर्देशित किया गया था कि बच्चों को गुणवत्तायुक्त दूध पराेसा जाए। फॉर योर इंफॉर्मेशन ब्.क्0 लाख स्टूडेंट्स परिषदीय स्कूलों में 9ख् हजार लीटर रोजाना दूध का उत्पादन क्.ख्भ् लाख रोजाना दूध की जरूरत जिले में छात्रों की म्0 परसेंट हाजिरी पर भ्0 हजार लीटर की डिमांड एमडीएम में दूध बांटने की जिम्मेदारी एनजीओ की है। एनजीओ को निर्देशित किया गया है कि एमडीएम में बच्चों को गुणवत्तायुक्त दूध परोसा जाए। गौरव कुमार, एमडीएम को-ऑर्डीनेटर