वाराणसी जिला अदालत सोमवार को श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले में फैसला सुनाएगी। फैसले से पहले वाराणसी में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। जिला जज एके विश्वेश ने पिछले महीने इस मामले में 12 सितंबर तक आदेश सुरक्षित रखा था।

वाराणसी (एएनआई)। वाराणसी जिला अदालत सोमवार को श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले में फैसला सुनाएगी। यह फैसला ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने की अनुमति मांगने वाली याचिका की सुनवाई से संबंधित है। जिला जज एके विश्वेश ने पिछले महीने इस मामले में 12 सितंबर तक आदेश सुरक्षित रखा था। जिला अदालत के आदेश से एक दिन पहले रविवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और निषेधाज्ञा (धारा 144) लगा दी गई है। पुलिस बल को विशेष रूप से शहर के उन क्षेत्रों में तैनात किया है जहां एक मिश्रित आबादी रहती है। वहीं इस संबंध में पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश का कहना है कि यह सुनिश्चित करने कोशिश हो रही है कि शहर में कोई कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न न हो। कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाएगा। इसके साथ ही लोगों से अफवाहों से गुमराह न होने की अपील भी की है।

19 मई को कोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई
काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर श्रृंगार गौरी स्थल की पूजा करने की अनुमति मांगने वाली पांच हिंदू महिलाओं द्वारा याचिका दायर की गई थी। इसके बाद वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने मई में परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण का आदेश दिया। 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ और 19 मई को कोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई। वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के बाद हिंदू पक्ष द्वारा दावा किया गया कि मस्जिद परिसर में शिवलिंग जैसा एक ढांचा मिला है। वहीं मस्जिद समिति ने विरोध किया कि यह एक फव्वारा है न कि शिवलिंग।

जिला जज को ट्रांसफर हुआ था केस
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को मामले को एक सिविल जज (सीनियर डिवीजन) से जिला जज को ट्रांसफर कर दिया। इसके साथ कहा कि इस मुद्दे की जटिलताओं और संवेदनशीलता को देखते हुए, यह बेहतर है कि 25-30 साल से अधिक का अनुभव रखने वाला एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी इस मामले को संभाले। पीठ ने यह भी कहा कि मुसलमानों के मस्जिद में नमाज या धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए प्रवेश करने पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए।

Posted By: Shweta Mishra