Happy Raksha Bandhan 2020: सावन मास की पूर्णिमा के दिन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व मनाते हैं। रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों को राखी बांध करके उनसे अपनी रक्षा का संकल्प लेती हैं किंतु रक्षाबंधन की व्यापकता इससे कहीं ज्यादा है आज राखी बांधना सिर्फ भाई-बहन के बीच का कार्यकलाप नहीं रह गया है बल्कि राखी देश की रक्षा पर्यावरण की रक्षा सामाजिक हितों की रक्षा के लिए भी बांधी जाती है।


Happy Raksha Bandhan 2020: भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा में रक्षाबंधन का प्रसंग है कि राजा बलि ने यज्ञ संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार का प्रयत्‍न किया तब देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु की प्रार्थना की। इससे प्रसन्‍न होकर भगवान विष्णु देवताओं की रक्षा के लिए वामन अवतार में राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे और गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। इसके बाद वामन भगवान ने तीन पग में ही आकाश, पाताल और धरती को नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। राजा बलि ने अपनी भक्ति के बल पर भगवान विष्णु से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया जिससे माता लक्ष्मी अत्यंत ही चिंतित हो गईं और नारद जी की सलाह पर लक्ष्मी जी बलि के पास पहुंची और रक्षा सूत्र बांधकर उसे अपना भाई बना लिया और उपहार स्वरूप विष्णु जी को अपने साथ ले आईं। तभी से श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाताहै।महाभारत काल में रक्षाबंधन


द्वापर युग में रक्षाबंधन के पर्व का उल्लेख है कि जब धर्मराज युधिष्ठिर को भगवान कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्यौहार मनाने की सलाह दी। कहते हैं कि शिशुपाल का वध करते समय भगवान कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई तब द्रोपदी ने बहते हुए रक्‍त को रोकने के लिए साड़ी से चीर फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया और यह भी सावन मास का पूर्णिमा का दिन था, भगवान कृष्ण ने चीरहरण के समय द्रौपदी की लाज बजाकर भाई होने का धर्म निभाया।Happy Raksha Bandhan 2019: भगवान विष्णु ने राजा बलि की कलाई में बांधा था धागा, पढ़ें पूजा विधि, कथा, इतिहास व महत्‍वराखी में गांठ का महत्वगांठ बांध लो तो उसका अभिप्राय होता है बुद्धि में रख लो, स्मृति के लिए माताएं अपनी ओढ़नी को गांठ बांध देती हैं, नववधू पूजन के समय गांठ बांध लेती हैं। इसी प्रकार बहनें अपने भाई की कलाई में मौली में गांठ बनती हैं तो उसका अभिप्राय होता है कि अच्छे कार्यों को अपने मन मस्तिष्क में अच्छी तरह से धारण कर लो सर्वप्रथम अपने इष्ट देव की पूजा की जाती है इसके बाद भाई की पूजा को भाई को पूजन के स्थान पर बैठाकर के हल्दी और चावल का तिलक लगाता है और फिर बहनें भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधी है।

-ज्‍योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडे

Posted By: Vandana Sharma