दुनिया में जल्द ही सात से आठ महाद्वीप हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने जीलैंडिया नाम से आठवें महाद्वीप की सिफारिश की है। शुक्रवार को जारी अध्ययन के अनुसार प्रशांत महासागर में डूबे भारतीय उपमहाद्वीप जितने बड़े एक छुपे क्षेत्र को नए महाद्वीप जीलैंडिया के रूप में मान्यता दी जा सकती है।


आठवें महाद्वीप की चर्चा शुरुशोधकर्ताओं का कहना है कि, इसमें महाद्वीप बनने की सभी खूबियां हैं। दिलचस्प है कि भारत के गोंडवाना का पांच फीसद हिस्सा भी कभी इस प्रस्तावित महाद्वीप का हिस्सा रह चुका है। अगर जीलैंडिया को एक नए महाद्वीप के रूप में मान्यता मिल जाती है तो यह एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका के बाद आठवां महाद्वीप होगा।40.9 लाख किलोमीटर लंबा है क्षेत्र
न्यूजीलैंड के वेलिंगटन स्थित विक्टोरिया यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी, आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने अन्य के साथ मिलकर किए गए अध्ययन में उपरोक्त दावा किया है। उनका कहना है कि जीलैंडिया दरअसल दक्षिण पश्चिम प्रशांत महासागर के 40.9 लाख किलोमीटर लंबे क्षेत्र में फैला है। महाद्वीपीय परत से बना यह क्षेत्र समीपवर्ती महासागरीय सतह से अपेक्षाकृत ऊंचा है। इसमें सिलिका चट्टानों की भरमार है। साथ ही आस्ट्रेलिया से अलगाव और लंबा क्षेत्र होने के कारण यह महाद्वीप जीलैंडिया के रूप में परिभाषित होने के लिए एकदम उपयुक्त है। वर्तमान में इसका 94 प्रतिशत हिस्सा में समुद्र में डूबा हुआ है।जीलैंडिया को अभी और समझना होगा


शोधकर्ताओं का कहना है कि जीलैंडिया की पहचान बहुत हद तक एक भूवैज्ञानिक महाद्वीप के रूप में की जानी चाहिए। महाद्वीप की परिभाषा के लिए इसे द्वीपों के समूह, भूखंडों और अन्य मानकों की कसौटी पर नहीं कसा जाना चाहिए। धरती के इस हिस्से का भूगर्भ शास्त्र जीलैंडिया के जरिये सही मायनों में समझा जा सकता है। इससे महाद्वीपीय दरार, पतलापन और विघटन की प्रक्रिया को समझने में और मदद मिलेगी।समुद्र में छुपे हैं ऐसे कई भूखंडजीएसए टुडे में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि पिछले पचास वर्षों में महाद्वीपीय विघटन प्रक्रिया को समझने की तकनीक काफी विकसित हुई है। समुद्र तल में दफन कई ऐसे छोटे महाद्वीपीय टुकड़े मिले हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि ये धरती पर कभी मौजूद विशाल महाद्वीपीय विघटन के दौरान छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर कर समुद्र में समाहित हो गए थे। कभी जीलैंडिया भी ऐसा ही कोई भूला-बिसरा महाद्वीपीय भूखंड रहा होगा, जो अब समुद्र में डूबा पड़ा है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि भारत के गोंडवाना क्षेत्र का पांच फीसद भाग कभी जीलैंडिया का हिस्सा था।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari