ईरान और अमेरिका के बीच होने जा रहे परमाणु समझौता पर आज अंतिम निर्णय आ जाएगा। अमेरिका के पक्ष में फैसला होने की स्‍िथति में ईरान पर यूरोपीय देशों और अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। लेकिन इस बदलाव से भारतीय व्‍यापारियों का एक बड़ा वर्ग सीधे-सीधे प्रभावित होगा। आइये इस प्रभाव के बारे में भारतीय व्‍यापारियों से जानें...

न्यूक डील ने छीनी नींद
व्यापारी पंकज बंसल की नींद छिन गई है। उनका कहना है कि ऐसी किसी भी न्यूक्लियर डील से वे तबाह हो जाएंगे, जिसकी बदौलत अन्य देश ईरान पर लगी पाबंदी हटाने के लिए तैयार हो जाएं। दक्षिणी दिल्ली में रहने वाले बंसल ने बताया, 'अब मुझे रात को नींद की दवा लेनी पड़ रही है क्योंकि ईरान के साथ मेरा व्यापार बहुत कम हो गया है।' बंसल की ट्रेडिंग फर्म टीएमए इंटरनेशनल मेटल्स से लेकर मोटर, वाहनों के पुर्जे और केमिकल्स तक का कारोबार करती है। पश्चिमी देशों की ईरान पर पाबंदी के बाद बंसल की प्रतिद्वंद्वी कंपनियां बंद हो गईं थी। जाहिर है, यदि ईरान पर से प्रतिबंध हटता है तो बंसल के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।

भारत के हित में ईरान पर पाबंदी

बहरहाल, ईरान पर पाबंदी को लेकर अंतिम फैसला शुक्रवार को होने की उम्मीद है। बंसल उन हजारों निर्यातकों में शामिल हैं, जो ईरान पर पाबंदी का भारत की ओर से समर्थन नहीं किए जाने के कारण 3 साल से फायदे में थे। भारत का ईरान के साथ व्यापार दोगुना होकर करीब 5 अरब डॉलर हो गया था, जिससे निर्यातकों को आपसी व्यापारिक घाटा कम करने में मदद मिली।
ईरान पहुंचेंगी यूरोपीय कंपनियां
अब यदि ईरान पर से पाबंदी हटाने को लेकर डील पक्की हो जाती है तो बंसल जैसे निर्यातकों को यूरोपीय और अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना पड़ेगा। भारतीय निर्यातकों का कहना है कि जर्मनी, इटली और फ्रांस की कंपनियां एक बार फिर ईरान में पांव पसारना शुरू कर देंगी। एक समय था जब ये कंपनियां ईरानी बाजार पर राज करती थीं, लेकिन ईरान पर पाबंदी के कारण इन्हें वहां से बिजनेस समेटना पड़ा। पाबंदी हटने की स्थिति में ये कंपनियां कपड़े से लेकर कार तक का बिजनेस शुरू कर देंगी। इसके अलावा तेहरान मेट्रो जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स हथियाने की कोशिश करेंगी।
यूरो के कमजोर होने का भी असर दिखेगा
भारतीय निर्यातकों के संगठन फिओ के मुताबिक पश्चिमी देशों की ओर से ईरान पर लगाई गई पाबंद हटने का बुरा असर होगा। खास तौर पर गैर-कृषि सामग्री के कारोबार को ज्यादा मुश्किल होगी। चेन्नई के निर्यातक रफीक अहमद ने बताया, 'पारंपरिक तौर पर ईरान लोग यूरोपीय प्रोडक्ट्स ज्यादा पंसद करते हैं। यूरो में कमजोरी आने के कारण हमारे लिए उनसे मुकाबला करना आसान नहीं होगा। पिछले हफ्ते भारतीय निर्यातकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी और समर्थन के लिए उनसे लॉबी करने का आग्रह किया था।
साभार: नई दुनिया

Hindi News from Business News Desk

Posted By: Prabha Punj Mishra