हिंदी फ़िल्मों में रोमांस का ज़िक्र होता है तो सबसे पहले शाहरुख़ खान का नाम ज़हन में आता है। 'फौजी' और 'सर्कस' धारावाहिक से अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले शाहरुख़ ख़ान ने 'दीवाना' से हिंदी फ़िल्मों में शुरुआत की।

अब्बास मस्तान की फ़िल्म 'बाज़ीगर' और यश चोपड़ा की फ़िल्म 'डर' में उन्होंने 'एंटी हीरो' किरदार निभाया।

सलमान ख़ान ने अपने करियर की शुरुआत में रोमांटिक फ़िल्म 'मैंने प्यार किया' की। वो 'साजन' और 'हम आपके हैं कौन' जैसी रोमांटिक पारिवारिक फ़िल्मों का हिस्सा भी बने।

वहीं आमिर ख़ान ने भी अपने करियर में कई रोमांटिक फ़िल्में की जिसमें शामिल थीं 'क़यामत से क़यामत तक', 'दिल', 'अकेले हम अकेले तुम'।

रोमांटिक फ़िल्मों से करियर शुरू करने के बावजूद भी सलमान और आमिर हिंदी फ़िल्मों के रोमांस किंग न बन पाए, जबकि नकारात्मक भूमिकाओं से अभिनय की छाप छोड़ने वाले शाहरुख़ रोमांस किंग बन गए।

उनकी रोमांटिक फ़िल्मों में शामिल हैं सुपरहिट 'दिल वाले दुल्हनियां ले जाएंगे', 'दिल तो पागल है', 'परदेस', 'कुछ कुछ होता है', 'मोहब्बतें', 'वीर-ज़ारा', 'कल हो ना हो', 'जब तक है जान'।

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अजय ब्रह्मात्मज ने माना कि शाहरुख़ के पास रोमांस की ख़ूबसूरत फ़िल्में आईं और उन्हें बड़े निर्देशक यश चोपड़ा, आदित्य चोपड़ा और करण जौहर के साथ काम करके उनकी छवि लार्जर दैन लाइफ की बन गई थी।

इस छवि को उन्होंने अपनी हर फ़िल्मों में बरक़रार रखा। हालांकि वो खूबसूरत दिखने वाले अभिनेता नहीं थे पर निरंतर बड़े परदे पर दिखने से दर्शकों को वो पसंद आने लगे थे।

शाहरुख़ की रोमांटिक फ़िल्मों के बारे में अजय ब्रह्मात्मज कहते हैं, "शाहरुख़ के अधिकतर किरदार मध्यम उच्च वर्ग के लड़के को संबोधित करते हैं जो हर तरह से सुरक्षित और संपन्न है। उसकी कोई असुरक्षा नहीं है। उनके किरदार को रोज़ी रोटी की परेशानी नहीं है। शाहरुख़ खान के किरदार का जीवन सुखी और संपन्न है, बस उसे सिर्फ़ प्रेम करना है। ऐसे रोमांटिक हीरो लड़कियों को बेहद पसंद आते हैं।"

वही वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश चौकसे का कहना है की, 'किंग ऑफ़ रोमांस' मीडिया द्वारा दी गई उपाधि है। उन्होंने माना कि एक छवि बन जाने से अभिनेताओं को फ़ायदा भी होता है।

वो कहते हैं, "दिलीप कुमार और राजेश खन्ना के सुनहरे युग में मीडिया अधिक नहीं थी और सिर्फ़ चंद पत्रिकाओं में खबरें छपती थीं। अब मीडिया की तदाद ज़्यादा और उन्हें जीवित रहने के लिए सामग्री की ज़रूरत पड़ती है इसलिए इस तरह की चीज़े वो खूब उछालते हैं।"

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इमेज से नुकसान
हालांकि अजय ब्रह्मात्मज ने माना कि शाहरुख़ ख़ान की रोमंटिक छवि अब उनकी कमी बनती जा रही है क्योंकि अब शाहरुख़ खान की उम्र बढ़ गई है। वो 52 वर्ष के हो गए हैं पर फ़िल्मों में प्यार का अंदाज़ अब भी 25 की उम्र का है।

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जहां सलमान खान और आमिर खान की अलग फ़िल्में अच्छी कमाई कर रही हैं वहीं शाहरुख़ ख़ान की रोमंटिक इमेज की सीमाएं हैं जो आने वाले दिनों में उनके लिए बाधा भी बन सकती है।

शाहरुख ख़ान के साथ काम करने वाली अधिकतर अभिनेत्रियों का कहना है कि 'शाहरुख़ ख़ान किसी के साथ भी रोमांस कर सकते हैं फिर चाहे वो वस्तु बेजान ही क्यों ना हो।'

रोमांटिक इमेज की चाहत ना रखने वाले शाहरुख़ का कहना है, "मैंने अपने करियर में रोमांटिक फ़िल्मों से अधिक ग्रे क़िरदार ज़्यादा निभाए हैं। अमूमन 4-5 रोमांटिक फ़िल्में की हैं जो सबसे अधिक सफल रहीं और अपने आप में क्लासिक बन गई हैं। वही छवि लोगों के दिल और दिमाग में है और वही मेरी पहचान भी बन गई है।"

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Posted By: Chandramohan Mishra