अगर आप सेलरी लेते हैं और पिछले फाइनेंशियल ईयर के बीच में आपने जॉब बदली है तो आपके पास दो फॉर्म 16 होंगे। हर नियोक्ता आपको फॉर्म 16 देता है जिसमें आपकी कुल आय और 80सी के तहत टैक्स कटौतियों की जानकारी होती है। अगर आपने नए नियोक्ता को पुरानी सेलरी के बारे में जानकारी दी है तो आय की गणना नए फॉर्म 16 में होगी नहीं तो आपको यह काम खुद करना होगा। आप कुल सेलरी की गणना खुद भी कर सकते हैं।

अगर आप इनकम टैक्स डिपाटज़्मेंट की वेबसाइट पर खुद ई-फाइलिंग करना चाहते हैं तो आपको सभी फॉर्म 16 अपने साथ रखने होंगे। पहली बार लॉग इन करने पर आधार और पैन कार्ड को लिंक करने का ऑप्शन आता है। अगर आधार और ई-फाइलिंग में कोई अंतर नहीं है तो ई-फाइलिंग की प्रक्रिया आप शुरू कर सकते हैं।

अगर आपने नए नियोक्ता को पुराने मिले वेतन की जानकारी नहीं दी होगी तो आपके कर की कटौती कम हुई होगी। अगर आपने 80सी के तहत हुई कटौतियों की पूरी जानकारी नए नियोक्ता को नहीं दी है तो हो सकता है कि आपकी कटोती दो बार हो जाए।

क्रिकेट के ये महारथी चुकाते हैं इतना ज्यादा इनकम टैक्स, कि सुनकर दिमाग सुन्न हो जाएगा

यह प्रक्रिया अपनाएं
-सबसे पहले सही फॉर्म का सलेक्शन करके आपको पता, नाम, रिवाइज्ड या मूल आईटीआर है इसकी जानकारी देनी होगी।

-आय के सेक्शन में आपको सेलरी से आय की जानकारी देनी है। यहां आपको दोनों कंपनियों से आय को जोड़कर लिखना होगा।

-इसके बाद आप 80सी के तहत होने वाली कटौतियों की जानकारी देंगे। इसके बाद सिस्टम टैक्स की गणना कर लेगा।

-गणना के बाद आप अगले पेज में वेतन से काटे गए टीडीएस की जानाकारी देख पाएंगे।

-अगर नए नियोक्ता ने ये जानकारी नहीं डाली है तो आपके पास इसे डालने का विकल्प होगा।

-इसे जोडऩे के बाद आप टैक्स पेड की जानकारी और देय कर या कोई रिफंड बनता हो तो उसकी जानकारी देख सकते हैं।

आप अपने दिए गए टैक्स की गणना फॉर्म 26एएस में देख सकते हैं जो इनकम टैक्स की वेबसाइट पर उपलब्ध होता है।

नकम टैक्स ज्यादा कटने पर ऐसे ले सकते है रिफंड

Business News inextlive from Business News Desk

Posted By: Chandramohan Mishra