भारतीय संस्‍कृति मे गाय को माता माना गया है। गाय के गोबर और गो मूत्र को पवित्र माना गया है। आयुर्वेद मे वर्णन है कि गो मूत्र से असाधारण रोग भी खत्‍म हो जाते है। अधुनिकता के साथ लोगों की जरूरतें बदली हैं पर हम जो आप को बताने जा रहे हैं वो आप को चौंका देगा।


गोबर से तैयार हो रहा है साजो सामानजनाब अगर हम आप से कहें कि गाय के गोबर से घडि़यां और रोजमर्रा के समान तैयार हो कर बाजार मे बेचें जा रहे हैं और लोग उन्हें पसंद भी कर रहे हैं तो शायद एक बार आप हम पर यकीन ना करें पर यही सच है। चंडीगढ़ के सेक्टर-15 के लाला लाजपत राय भवन में लगी मृगनयनी प्रदर्शनी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। जहां गाय के गोबर से तैयार सजावट की चीजों की प्रदर्शनी लगाई गई है। प्रदर्शनी मे कई प्रकार की घड़ियां, डेकोरेशन का सामान, फ्लावर पोट मौजूद हैं। मध्यप्रदेश से आए कारीगरों की माने तों इन चीजों को बनाने में सिर्फ उन गायों का गोबर प्रयोग मे लाया जाता है जो गाय दूध नहीं दे रहीं हो। जिससे इन गायों का भी भरण पोषण हो सके।


लोगों को भा रहीं है पारंपरिक चीजें

इसके लिए 110 गायों की गऊशाला में इन चीजों को बनाया जाता है। देश के अलग अलग हिस्सों में गायों के गोबर से तैयार सामान को बेचा जाता है। लोगों को भी गाय के गोबर से बनी ये पारंपरिक चीजें खूब भा रही हैं। लोग इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। उन्हें ये बाकी चीजों से अलग और उपयोगी भी लग रही हैं। ये कारीबर गायों का संरक्षण कर उनसे तैयार इन उपयोगी चीजों के बारे में लोगों को जागरुक कर रहे है। गायों के गोबर से तैयार चीजों को लोगों के घरों तक पहुंचाकर ये लोग उन गायों को संरक्षण दे रहे हैं तो दूध देने मे असमर्थ हैं। चंडीगढ़ मे चल रही इस प्रदर्शनी मे लोगों की भारी भीड़ एकत्र हो रही है। लोग गायों से बनी घडि़यों की ओर आकर्षित हैं।

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Posted By: Prabha Punj Mishra