यहां की महिलाओं का दर्जा है पुरुषों से ऊपर
पाकिस्तान की कलश घाटी में है इनका बसेरापाकिस्तान की आजाद महिलाओं का यह बसेरा मौजूद है कलश घाटी में। देखने में यह घाटी बेहद खूबसूरत और हसीन वादियों से भरी हुई है। यहां की दिलखुश नजारे आपके मन को मोह लेंगे लेकिन इन नजारों से भी खास अगर यहां कुछ है तो वो हैं यहां की संस्कृति। यहां की महिलाएं आजाद हैं कुछ भी करने के लिए कुछ भई सोचने के लिए। वे किसी के लिए भी अपने प्यार का इज़हार कर सकती हैं। अपनी शादी को तोड़ने का एलान कर सकती हैं और वे किसी के साथ भाग भी सकती हैं।अगर आप यहां बाल्टी, कूकर, गिलास आदि बुलाएंगे तो यहां कोई न कोई बच्चा दौड़ा जरूर आएगा।घेरेलू चीजों के नाम पर रखते हैं बच्चों के नाम
कलश घाटी में रहने वाली आदिम जनजाति के लोगों में अपने बच्चों का नाम घरेलू इस्तेमाल में आने वाली चीजों के नाम पर रखने की काफी पुरानी परंपरा है। ये लोग पहले अपने बच्चों के नाम बाल्टी और कुकर जैसे बर्तनों के नाम पर रखते थे लेकिन अब इन तक भी आधुनिकता की बयार पहुंच गई है और वे बच्चों के नाम कंप्यूटर,रेडियो और मोबाइल जैसे उपकरणों के नाम पर रखने लगे हैं। स्थानीय अखबार डान ने घाटी के एक विकास अधिकारी कुदरतुल्ला के हवाले से बताया कि यहां के लोगों के नाम अक्सर काफी मजेदार होते हैं। हालांकि यहां के निवासियों ने नाम रखने के लिए कोई खास नियम नहीं बनाया है।मुस्लिम महिलाएं भी हैं पूर्णता स्वतंत्रकलश घाटी के लोग इस्लाम धर्म की बजाय तमाम देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। पहाड़ी घर आपस में सटे हुए हैं। छत और बरामदे जुड़े हैं। छोटा और बंद समाज है। रास्ता मुश्किल है इसलिए बाहरी असर ना के बराबर है। घाटियों में मंदिर बने हैं, जहां मुसलमानों और औरतों के जाने पर पाबंदी है। कलश घाटी की अपनी भाषा और संगीत है। संस्कृति पर इंडो-ग्रीक असर हावी है। रंगत और नैन-नक्श काफी कुछ यूरोप का अक्स पैदा करते हैं। भाषा खोवार है। यहां पर लोग एक-साथ रहते हैं। लोगों में एकता बहुत है। पहाड़ी घर आपस में सटे हुए हैं। छत और बरामदे जुड़े हैं। छोटा और बंद समाज है। रास्ता मुश्किल है इसलिए बाहरी असर ना के बराबर है।