अमरीका में अब सरकार इस बात पर ज़ोर दे रही है कि अधिक से अधिक अमरीकी छात्र भारत जाकर पढ़ाई और इंटर्नशिप भी करें. इसके लिए अब एक खास प्रोग्राम भी शुरू किया गया है.


अमरीकी विदेश मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए पासपोर्ट टू इंडिया नाम के इस कार्यक्रम के ज़रिए भारत जाकर पढ़ने औऱ काम करने वाले अमरीकी छात्रों की संख्या बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. अमरीकी विदेश मंत्रालय की शिक्षा सलाहकार डॉ मॉली टीएस पास्पोर्ट टू इंडिया कार्यक्रम की देख रेख कर रही हैं.वह कहती हैं, "पासपोर्ट टू इंडिया कार्यक्रम का मुख्य मकसद यह है कि भारत में अमरीकी छात्रों के लिए पढाई करने और इंटर्नशिप करने के लिए कार्यक्रमों को बढाया जाए जिससे भारत जाकर पढाई करने औऱ इंटर्नशिप करने के लिए भी अधिक अमरीकी छात्र जा सकें."लेकिन अब तक पढाई के मकसद से बहुत कम ही अमरीकी छात्र भारत जाया करते थे.
अमरीकी सरकार के आंकड़े बताते हैं कि सन 2009-2010 में भारत से अमरीका जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या एक लाख से भी अधिक थी जबकि भारत जाकर पढाई करने वाले अमरीकी छात्रों की तादाद 3000 से भी कम थी और यही वजह बनी अमरीकी सरकार के नए कार्यक्रम की.आर्थिक विकास


डॉ मॉली टीएस कहती हैं, "इसकी शुरूआत तब हुई जब हमने आंकड़े देखे कि भारत से तो अमरीका बहुत से छात्र हर साल आते हैं, लेकिन भारत जाकर पढ़ाई करने के लिए अमरीकी छात्रों की संख्या बहुत कम है. और यह हमारे लिए बहुत अहम है कि हम युवा अमरीकियों को 21वीं सदी में नौकरियों के लिए तैय्यार करने के मकसद से भारत जैसे देश के बारे में उनकी समझ और जानकारी बढ़ाएं."और अब अमरीकी सरकार की कोशिशों का नतीजा भी दिख रहा है.अब बहुत से अमरीकी छात्र भारत जाकर पढ़ना चाहते हैं, इसकी एक सबसे बड़ी वजह है भारत में तेज़ी से होता आर्थिक विकास, जिसका फ़ायदा उठाने के लिए अमरीका अपनी नई नस्ल को तैयार करना चाहता है.अमरीका के मशहूर कोलंबिया विश्वविद्यालय औऱ शिकागो और ह्यूस्टन विश्वविद्यालय जैसे कई अमरीकी शिक्षण संस्थान भी इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं.कोलंबिया विश्वविद्यालय की अधिकारी कविता शर्मा कहती हैं, "पासपोर्ट टू इंडिया कार्यक्रम के तहत हम आठ हफ़्ते के लिए अपने छात्रों को मुंबई भेज रहे हैं. इस कार्यक्रम को लेकर हम तो बहुत उत्साहित हैं. छात्रों में भी उत्साह है. कुल 10 सीटों के लिए हमारे पास 60 छात्रों ने आवेदन दिया था."इंटर्नशिप

नए कार्यक्रम के तहत अमरीकी छात्र भारत जाकर पढाई के साथ साथ विभिन्न कंपनियों में मैनेजमेंट, ग्राफ़िक डिज़ाईन, मैन्यूफ़ेक्चरिंग, टेक्नोलोजी, और फ़ार्मास्यूटिकल रिसर्च जैसे क्षेत्रों में इटर्नशिप भी कर सकते हैं.इसके अलावा अमरीकी छात्रों को भारतीय भाषाओं के साथ साथ भारतीय संस्कृति के बारे में भी जानकारी बढ़ाने का मौका मिल रहा है.अमरीकी सरकार का मानना है कि अब तक भारत में अमरीकी छात्रों के लिए पढ़ाई और इंटर्नशिप करने के मौके कम थे.डॉ मॉली टीएस कहती हैं,"हमारे युवा अमरीकी भारत जाकर भारतीय लोगों के संग काम करने के मौके के बहुत इच्छ्क हैं. औऱ हम इसीलिए कई क्षेत्रों में अमरीकी छात्रों के लिए मौके बढ़ाना चाहते हैं और भारत में मौजूद उन मौकों पर प्रकाश डालना चाहते हैं जिनका अमरीकी छात्रों को शायद पता न हो. जिससे विज्ञान, इंजीनियरिंग और मेनेजमेंट के छात्रों को भी यह पता चलता है कि वह न्यू यॉर्क या मुंबई में काम कर सकते हैं. या अटलांटा, या फिर हैदराबाद में भी काम कर सकते हैं. "अमरीकी विदेश मंत्रालय का मानना है कि इससे अमरीकी विदेश नीति और दोंनो देशों के बीच कूटनीति में भी मदद मिलेगी.सरकारी कोशिश
अमरीकी सरकार की कोशिश है कि अमरीका के स्कूली और कॉलेज के छात्रों को भी इस कार्यक्रम के ज़रिए भारत जाकर पढ़ाई करने का मौका मिले जिससे युवा अमरीकियों को भारतीय संस्कृति, इतिहास, वहां के लोगों औऱ खासकर देश में तेज़ी से होते सामाजिक और आर्थिक विकास को भी समझने का मौका मिले.और सिर्फ़ मशहूर संस्थान ही नहीं बल्कि मेरिलैंड स्थित मोंटगोमरी कॉलेज जैसे छोटे कॉलेजों में भी छात्रों में भारत जाने की होड़ लगी है.मोंटगोमरी कॉलेज में 600 छात्रों ने पासपोर्ट टू इंडिया कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आवेदन भरे हैं.कॉलेज की अध्यक्ष डॉ डोरियोन पोलार्ड कहती हैं, "इस कार्यक्रम के ज़रिए भारत जाकर पढ़ाई करने के मौके से हमारे कॉलेज के छात्रों को भारत और भारतीय संस्कृति को बेहतर तरीके से समझने का मौका मिलेगा. और इसके अलावा हमारे छात्र जो वोकेशनल और तकनीकी शिक्षा से जुड़े हैं वह अपनी कला के ज़रिए कुछ योगदान भी दे सकेंगे और अपना भी भविष्य संवारेंगे."अमरीका में अब भी बेरोज़गारी की दर सात प्रतिशत के ऊपर है औऱ बहुत से अमरीकी छात्र इस कार्यक्रम के तहत भारत में पढ़ाई या इटर्नशिप के ज़रिए अपने करियर में नए विकल्प भी तलाशना चाहते हैं.मगर पासपोर्ट टू इंडिया कार्यक्रम तो अभी एक सरकारी कोशिश है. लेकिन धारा सचमुच बदले, इसके लिए बहुत कुछ बदलने की ज़रूरत होगी.
"पासपोर्ट टू इंडिया कार्यक्रम के तहत हम 8 हफ़्ते के लिए अपने छात्रों को मुंबई भेज रहे हैं. इस कार्यक्रम को लेकर हम तो बहुत उत्साहित हैं. छात्रों में भी उत्साह है. कुल 10 सीटों के लिए हमारे पास 60 छात्रों ने आवेदन दिया था."-कविता शर्मा, कोलम्बिया विश्वविद्यालय

Posted By: Satyendra Kumar Singh