भारतीय कंपनियों में सीईओ और अन्य कर्मचारियों की सैलरी का अंतर और बढ़ गया है। सेंसेक्स पर लिस्टेड टॉप कंपनियों द्वारा किए गए सैलरी डिसक्लोजर के एनालिसिस के बाद ये बात सामने आई है।

सेबी के निर्देश पर हुआ एनालिसिस
बड़ी लिस्टेड कंपनियों में टॉप एग्जीक्यूटिव्स की सैलरी मिड लेवल इम्प्लॉइज की सैलरी से 1,200 गुना तक ज्यादा हो गई है। सेंसेक्स पर लिस्टेड टॉप कंपनियों द्वारा किए गए सैलरी डिसक्लोजर के एनालिसिस से सामने आया कि सीईओ और एग्जीक्यूटिव चेयरमैन जैसे सीनियर इम्प्लॉइज का सैलरी पैकेज अभी भी ज्यादा बना हुआ है और अधिकतर प्राइवेट कंपनियों में 2016-17 के दौरान यह बढ़ा भी है। यह एनालिसिस सेबी के दिशा-निर्देश में हुआ। पिछले वित्त वर्ष के दौरान मिड लेवल इम्प्लॉइज की सैलरी या तो कम हो गई या जितनी थी उतनी ही बनी हुई है। दूसरी ओर सरकारी कंपनियों में हालात बिल्कुल अलग हैं। इन कंपनियों के प्रमुखों की सैलरी मिड लेवल इम्प्लॉइज से केवल 3-4 परसेंट ज्यादा है।
सैलरी बढ़ाने को लेकर नहीं हैं कोई प्रतिबंध
नियम हालांकि कंपनियों पर इस बारे में कोई प्रतिबंध नहीं लगाते हैं कि वे टॉप इम्प्लॉइज और एक औसत इम्प्लॉई की सैलरी कितनी बढ़ाएं और कितनी नहीं लेकिन सेबी के रेग्युलेशंस के तहत अधिकतर लिस्टेड कंपनियों के लिए सालाना आधार पर विभिन्न सैलरी रेशियो का खुलासा करना जरूरी है ताकि इनवेस्टर्स को अपने इनवेस्टमेंट वाली कंपनियों की सैलरी प्रैक्टिसेज के बारे में पता चल सके। टॉप एग्जीक्यूटिव्स, मुख्यत: प्रमोटर ग्रुप से संबंधित एग्जीक्यूटिव्स की सैलरी के लिए कंपनी के बोर्ड, विभिन्न कमेटीज और शेयरहोल्डर्स की मंजूरी जरूरी है। इसके अलावा अपर्याप्त प्रॉफिट वाली कंपनियों को अपने टॉप एग्जीक्यूटिव्स को दी जाने वाली अतिरिक्त सैलरी के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है।
 
प्रॉफिट के 5 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकती एमडी की सैलरी
नियमों के मुताबिक किसी भी मैनेजिंग डायरेक्टर या होल टाइम डायरेक्टर या मैनेजर को दी जाने वाली सैलरी कंपनी के नेट प्रॉफिट के 5 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकती। अगर कंपनी में ऐसे एक से ज्यादा डायरेक्टर हैं तो ऐसे सभी डायरेक्टर्स और मैनेजर्स की कुल सैलरी नेट प्रॉफिट के 10 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकती।

 

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Posted By: Prabha Punj Mishra