चीन के साथ सीमा मामले को लेकर बढ़ी चुनौतियों के बीच भारत ने सैन्य क्षमता विस्तार के लिए करीब 50 हजार सैनिकों की नई कोर बनाने का फैसला किया है. जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल तक चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पांच साल के भीतर करीब 65 हजार करोड़ रुपये की लागत से सैन्य क्षमता में यह बढ़ोतरी की जाएगी. केंद्र सरकार ने इस बाबत चीन सीमा पर रणनीतिक मोर्चाबंदी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.


बढ़ेगी आक्रामक क्षमतासूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार शाम हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति ने सीमा पर आक्रामक क्षमता बढ़ाने और मौजूदा कमजोरियों को दूर करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी. इस बैठक के लिए सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह को भी बुलाया गया था. सेना काफी समय से विस्तार की मांग कर रही थी.सैन्य विस्तार पर चल रहे थे सवाल-जवाबबीते दो साल से प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्रलय और वित्त मंत्रलय के बीच सवाल-जवाब चल रहे थे. अप्रैल में लद्दाख के दिपसांग इलाके में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तीन हफ्ते तक चले गतिरोध के बाद सैनिक बढ़ोतरी की कोशिशों की रफ्तार बढ़ गई.माउंटेन स्ट्राइक कोर में आर्म्ड और इंफेंट्री बिग्रेड भी


मौजूदा पंचवर्षीय योजना में अगले चार साल के भीतर नई कोर के गठन पर करीब 65 हजार करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है. सेना ने 12 पंचवर्षीय योजना में 2012-17 के दौरान माउंटेन स्ट्राइक कोर के अलावा दो इंफेंट्री और आ‌र्म्ड ब्रिगेड भी बनाने का प्रस्ताव दिया था. चीन की सेना के साथ बराबरी और ढांचागत क्षमताओं के विकास के लिहाज से भारत ने एक दशक पहले ही काम करना शुरू कर दिया था.

चीन के हमले के खिलाफ पलटवार की क्षमता

पर्वतीय इलाकों में खास रणनीतिक जरूरतों से लैस इस कोर में करीब 50 हजार सैनिक होंगे. इस कोर के जरिए भारत को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की ओर से चीन के किसी भी हमले के खिलाफ आक्रामक पलटवार की क्षमता हासिल हो सकेगी. कोर के पास त्वरित कार्रवाई और अधिक ऊंचाई वाले इलाकों के लिए दो डिविजन भी होंगी. सीमा पार चीन की तेज रफ्तार सैन्य तैयारियों और ढांचागत निर्माण के मद्देनजर भारत ने भी अपनी मोर्चाबंदी मजबूत करने की गति बढ़ाई है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh