मध्‍य प्रदेश के इंदौर में एक डॉक्‍टर ने 12 साल तक बिना नाक के रह रहे बच्‍चे को नई नाक देने का कारनामा किया है। डॉक्‍टर ने प्‍लॉस्‍टिक सर्जरी के जरिए पहले बच्‍चे के माथे पर कृत्रिम नाक उगाई और फिर उसे सही जगह पर फिट कर दिया।

गल चुकी थी असली नाक
मध्य प्रदेश में रहने वाले डॉक्टर अश्विनी दास ने वो कर दिखाया जिसे देश में पहले किसी ने नहीं किया। अश्विनी ने उज्जैन जिले के 12 वर्षीय अरुण पटेल के चेहरे पर कृत्रिम नाक उगा दी है। डॉक्टरों की इस टीम ने विशेष प्लास्टिक सर्जरी के जरिए अरुण के माथे पर कृत्रिम नाक उगाने के बाद उसे उसकी वास्तविक जगह पर प्रत्यारोपित करने का कमाल कर दिखाया है। इस कामयाब ऑपरेशन के अगुवा डॉ. अश्विनी दास ने बताया कि तकरीबन 12 साल पहले एक इंजेक्शन के साइड इफेक्ट के चलते अरुण की नाक गल गई थी। तब से वह बिना नाक के जिंदगी जी रहा था।
माथे पर ऐसे उगाई नाक
प्लास्टिक सर्जन अशविनी के मुताबिक अरुण के चेहरे पर सामान्य नाक की प्लास्टिक सर्जरी संभव नहीं थी। क्योंकि इंफेक्शन के चलते उसके चेहरे से नाक लगभग गायब हो चुकी थी। इसलिये उसकी विशेष प्लास्टिक सर्जरी करने का फैसला किया जिसे मेडिकल प्री.फैब्रिकेटेड फोरहेड फ्लैप राइनोप्लास्टी कहा जाता है। दास ने बताया कि इस सर्जरी के पहले चरण में अरुण के माथे पर जगह बनाकर सिलिकॉन की विशेष थैली (टिश्यू एक्सपैंडर) स्थापित की गई। फिर इसमें विशेष द्रव डालकर इसे फुलाया गया, ताकि माथे के ऊतक (टिश्यू) फैल सकें। इस थली ने तीन महीने में फैलते हुए माथे पर खाली स्थान तैयार किया।
कई चरणों में हुआ ऑपरेशन
सर्जरी के दूसरे चरण में अरुण के सीने के निचले हिस्से से कार्टिलेज (उपास्थि) निकाली गई जिससे उसके चेहरे की संरचना के अनुरूप कृत्रिम नाक तैयार की गई। इसके बाद सर्जरी के तीसरे चरण के तहत नकली नाक को चेहरे पर नाक के वास्तविक स्थान पर प्रत्यारोपित किया गया, जहां उसे हर बारीक से बारीक नस के साथ जोड़ा गया, ताकि इसमें सामान्य नाक की तरह रक्त प्रवाह हो सके।
खुद को देख सकता है शीशे में
रिपोर्ट की मानें तो अरुण नई नाक लगाए जाने से काफी खुश है। पहले चेहरे पर नाक नहीं होने से अरुण शीशे में खुद को देखने की हिम्मत नहीं कर पाता था। वह सड़क पर हमेशा सिर झुका कर चलता था ताकि उसे कोई देश न सके। यही नहीं स्कूल में बच्चे उससे काफी डरते थे और कुछ मजाक भी उड़ाते थे।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari