- चोरी के वाहनों की बिक्री रोकने के लिए शुरू हुई कवायद

- सेकेंड हैंड वाहनों का वेरीफिकेशन कराने पर पुलिस का जोर

GORAKHPUR: शहर में चोरी के वाहनों की बरामदगी में जुटी पुलिस ने सक्रियता बढ़ा दी है। चोरी केवाहनों की बिक्री औने-पौने दाम पर होने की सूचना से परेशान पुलिस वेरीफिकेशन पर जोर दे रही है। ऐसे में गलतफहमी या अन्य किसी के झांसे में आकर वाहन खरीदने की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में चोरी केवाहन संग कुछ लोगों को पकड़ा जा चुका है। शाहपुर एरिया में एक नेता को चोरी की बाइक संग पकड़ा गया था। इसलिए चोरी गए वाहनों का डाटा फीड करके पुलिस चोरों से निपटने की योजना में जुटी है।

चोरी का निकला वाहन तो बढ़ेगी मुश्किल

शहर में अक्सर लोग झांसा देकर चोरी के वाहनों को बेच देते हैं। फर्जी कागजात तैयार कराकर जालसाज वाहन खरीदने वालों को दे देते हैं। ऐसे में कई बार जब लोग पकड़े जाते हैं तो बताते हैं कि उन्होंने रुपए देकर व्हीकल खरीदा है। सस्ते में वाहन मिलने पर लोग अक्सर धोखा खा जाते हैं। इसलिए पुलिस ने तैयारी की है कि सेकेंड हैंड वाहन चला रहे लोगों से पूरा ब्यौरा लिया जाएगा। व्हीकल का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट न होने की दशा में रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर की लिस्ट तैयार की जाएगी। उसे मिलान के लिए डीसीआरबी भेजा जाएगा। वाहन के चोरी होने की दशा में वाहन चालक के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। उसके खिलाफ चोरी का माल रखने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

कबाडि़यों को दिया अल्टीमेटम, वाहन काटा तो जाएंगे जेल

शहर के भीतर चोरी गए वाहन लोग चला रहे हैं। इसकी पुष्टि होने पर संबंधित लोगों के खिलाफ पुलिस एक्शन लेगी। इनके अलावा चोरी के वाहन काटने वाले कबाडि़यों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। अगस्त माह में पुलिस ने अभियान चलाकर राजघाट, गोरखनाथ, कोतवाली एरिया सहित कई जगहों पर कबाडि़यों को चेतावनी दी थी। चेकिंग के दौरान यदि वाहन कटते हुए पाए जाएंगे तो यह जांच की जाएगी कि उनका रजिस्ट्रेशन नंबर आरटीओ में सरेंडर किया गया है कि नहीं। अगर वाहन चोरी का निकला तो कबाड़ी के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होगा।

वाहन चोरी होने पर दर्ज कराएं एफआईआर

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि वाहन चोरी होने पर इसकी एफआईआर थाना में दर्ज कराई जानी चाहिए। असली व्हीकल ऑनर्स को इस बात का ध्यान रखना होगा कि यदि उन्होंने व्हीकल चोरी का मुकदमा नहीं दर्ज कराया तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। इतना ही नहीं, यदि चोरी गए वाहन से कोई अपराध हुआ तो असली वाहन मालिक भी जिम्मेदार होंगे।

थानों से हो जाएगा वेरीफिकेशन, देनी पड़ेगी सूचना

कोई सेकेंड हैंड वाहन खरीदते समय उसका वेरीफिकेशन कराने के लिए पुलिस को सूचना दी जा सकती है। संबंधित थानों पर एप्लीकेशन देकर इसकी जांच कराई जा सकती है। वेरीफिकेशन के लिए बीट पुलिस को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

सेकेंड हैंड वाहन खरीदने में बरतें ये सावधानी

वाहन बेचने वाले व्यक्ति के संबंध में पूरी जानकारी जुटाएं।

वाहन के कागजात लेकर आरटीओ में संपर्क करें।

वाहन खरीदारी के पूर्व उससे संबंधित सभी प्रकार की डिटेल प्राप्त करें।

वाहन खरीदने के दौरान ट्रांसफर की प्रोसेस आरटीओ दफ्तर में जाकर पूरी करें।

विक्रेता के सभी प्रकार के दस्तावेजों की जांच पड़ताल पर विशेष जोर दें।

वर्जन

चोरी गए वाहनों को सस्ते दामों पर बेच दिया जाता है। फर्जी कागजात बनवाकर ब्रोकर किसी को भी थमा देते हैं। ऐसे में पकड़े जाने पर कार्रवाई तय है। चोरी गए वाहनों का पूरा डाटा फीड किया जा रहा है। इसलिए कोई भी सेकेंड हैंड वाहन खरीदने के पहले इसकी जांच जरूर कराएं ताकि फ्यूचर में आने वाली समस्या से निजात मिल सके।

- प्रवीण कुमार सिंह, सीओ क्राइम ब्रांच

Posted By: Inextlive