आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा सूबा है उत्‍तर प्रदेश। कहते हैं देश की राजनीति का रुख यहां बहने वाली हवा से तय होता है। inextlive.com की स्‍पेशल सीरीज में जानिए उनकी कहानी जिन्‍हें मिली इस सूबे के 'मुख्‍यमंत्री' की कुर्सी। आज हम बात करेंगे नारायण दत्‍त तिवारी की जो राजीनीति से ज्‍यादा अपनी निजी जिंदगी को लेकर चर्चित रहे।

Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in
@abhishek_awaaz
राजनीतिक उठापटक :

देश में सिर्फ दो तरह के नेताओं की चर्चा होती है। पहले वो जोकि अपने काम और अंदाज से जनता के चहेते बनते हैं। वहीं दूसरे नेता वो होते हैं जो राजनीति से इतर अपनी निजी जिंदगी को लेकर सुर्खियों में छाए रहते हैं। इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके नारायण दत्त तिवारी...एन.डी तिवारी अक्सर विवादों में रहे हैं, खैर अभी उनके राजनीति जीवन पर नजर डाल लें। साल 1942 की बात है में एन.डी तिवारी ब्रिटिश सरकार की साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ नारे वाले पोस्टर और पंपलेट छापने और उसमें सहयोग के आरोप में पकड़े गए। उन्हें गिरफ्तार कर नैनीताल जेल में डाल दिया गया। इस जेल में उनके पिता पूर्णानंद तिवारी पहले से ही बंद थे। 15 महीने की जेल काटने के बाद वह 1944 में आजाद हुए। बस यहीं से तिवारी जी के अंदर राजनीति की लौ जल उठी। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने जनता के बीच अपनी पैठ जमाई और एक बड़े नेता के रूप में उभरे। एन.डी तिवारी ने न सिर्फ एक राज्य बल्िक दो राज्यों के सीएम पद की कुर्सी संभाली, साथ ही केंद्र में भी महत्वपूर्ण पद पर पहुंचे।

उत्तराखंड के सीएम भी बने
वे केंद्र में योजना मंत्री, उद्योग मंत्री, पेट्रोलियम और विदेश मंत्री के पद पर काम कर चुके हैं। एन.डी तिवारी कुछ समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। 1993 और 1997 के संसदीय चुनाव में असफल रहने के बाद वे 1999 में फिर सांसद चुने गये। 2002 के निर्वाचन में उत्तरांचल में कांग्रेस को बहुमत मिलने पर उन्हें वहाँ का मुख्यमंत्री बनाया गया। एन.डी तिवारी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई पार्टिंयां बदली हैं। पहले समाजवादी, फिर कांग्रेसी और अब भाजपाई... हालांकि एनडी तिवारी ने बीजेपी ज्वॉइन नहीं की लेकिन उनका बेटा रोहित भाजपा में शामिल हो गया है।
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तिवारी जी की विवादित सीडी
नाजायज बेटे की बात फिर भी सही थी लेकिन एन.डी तिवारी इससे बड़े विवाद में फंस चुके हैं। साल 2009 की बात है, जब वह आंध्रप्रदेश के राज्यपाल थे। उस समय एक चैनल पर तिवारी जी का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह कुछ महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नजर आ रहे थे। तब एन.डी तिवारी की उम्र 85 साल थी। इसके बाद हैदराबाद में गवर्नर हाउस के बाहर महिला संगठनों ने प्रदर्शन कर के मांग की कि तिवारी गवर्नर पद से इस्तीफा दें।तिवारी कुछ समय गवर्नर बने रहने की ज़िद पर अड़े रहे लेकिन फिर कांग्रेस आलाकमान के दबाव में इस्तीफा दे दिया।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari