आइएस के हमले में यमन के 15 सैनिकों की मौत, बाल-बाल बचे उप राष्ट्रपति
जुलाई के बाद सबसे बड़ा हमला
पिछले जुलाई में हाउती विद्रोहियों के कब्जे से अदन को छुड़ाने के बाद से सरकार के खिलाफ यह सबसे बड़ा हमला है। आरंभिक रिपोर्टों में मिसाइल से हमले की बात कही गई है। हालांकि यमन के एक मंत्री ने इसे आत्मघाती हमला बताया है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि हमले के समय यमन के उप राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री खालिद बहाह, कई मंत्री और अधिकारी होटल में सो रहे थे। इन सभी को अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया है।
आईएस ने ली जिम्मेदारी
हमले की जिम्मेदारी लेते हुए आइएस ने कहा है कि उसके चार फिदायीन लड़ाकों ने इन हमलों को अंजाम दिया है। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि एक मिसाइल कास्र होटल की गेट पर गिरी और दूसरी पास ही में गिरी। तीसरी मिसाइल अदन के बुरैकाह जिला परिसर में गिरी जहां खाड़ी की अरब सेना का अड्डा है। एक वीडियो फुटेज में होटल में आग की लपटें और उसके बाद धुंआ उठते दिखाया गया है।
पहले समझा गया हाउती विद्रोहियों का कारनामा
शुरुआत में हादी सरकार समर्थक संयुक्त अरब अमीरात ने हमले के लिए ईरान समर्थित हाउती विद्रोहियों और यमन के पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुला सालेह के समर्थकों को जिम्मेदार बताया। यमन में इस साल 26 मार्च को हादी के समर्थन खाड़ी के अरब देशों के सैनिक अभियान के बाद से हवाई हमलों और जमीनी लड़ाई में अब तक 4500 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। हाउती विद्रोहियों ने सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन सेना के हमलों का युद्ध अपराध बताया है। हाउती का राजधानी सना समेत यमन के अधिकांश हिस्सों पर कब्जा है।