पहली बात तो यह है कि बच्चों को कैसा बनाया जाए इसके बजाय हमेशा यह सोचना चाहिए कि खुद को कैसा बनाया जाए। हमेशा हम यह सोचते हैं कि दूसरों को कैसा बनाया जाए और मैं यह भी आपसे कहूं कि वही व्यक्ति यह पूछता है कि दूसरों को कैसा बनाया जाए जो खुद ठीक से बनने में असमर्थ रहा है।


ओशो ज्ञान गंगा (उपदेश) अगर उसके खुद के व्यक्तित्व का ठीक-ठीक निर्माण हुआ हो, तो जीवन के जिन सूत्रों से उसने खुद को निमित्त किया है, स्वयं को पाने की दिशा खोजी है, खुद के जीवन में संगीत पाया है, उन्हीं सूत्रों के आधार पर, वह दूसरों के निर्माण के लिए भी अनायास अवसर बन जाता है। लेकिन हम पूछते हैं कि बच्चों को कैसा बनाया जाए? पहली बात तो यह समझ लें कि आपकी बनावट कमजोर होगी, ठीक न होगी और यह भी समझ लें कि किसी दूसरे को बनाना डायरेक्टली सीधे-सीधे असंभव है। हम जो भी कर पाते हैं दूसरों के लिए, वह बहुत इनडायरेक्ट, बहुत परोक्ष, बहुत पीछे के रास्ते से होता है, सामने के रास्ते से नहीं।जिसके लिए इनकार, वही करने को उत्सुक होता है बच्चा


कोई मां अपने बच्चों को किसी खास ढंग का अंतर्मुखी बनाना चाहे, सत्यवादी बनाना चाहे, चरित्रवान बनाना चाहे, परमात्मा की दिशा में ले जाना चाहे तो इस भूल में कभी न पड़ें कि वह सीधे-सीधे बच्चे को परमात्मा की दिशा में ले जा सकती है। क्योंकि जब भी हम किसी व्यक्ति को किसी दिशा में ले जाने लगते हैं, उसका अहंकार फिर चाहे वह छोटा बच्चा ही क्यों न हो, हमारे विरोध में खड़ा हो जाता है। क्योंकि दुनिया में कोई भी घसीटा जाना पसंद नहीं करता। जब हम उसे ले जाने लगते हैं कहीं और कुछ बनाने लगते हैं, तब उसके भीतर उसका अहंकार, उसका अभिमान हमारे विरोध में खड़ा हो जाता है। वह सख्ती से इस बात का विरोध करने लगता है। क्योंकि यह बात उसे आक्रामक, एग्रेसिव मालूम पड़ती है और इस आक्रमण का वह विरोध करने लगता है। छोटा बच्चा है, जैसे उससे बनता है वह विरोध करता है। जिस-जिस बात के लिए इनकार किया जाता है, वही-वही करने को उत्सुक होता है। जिस-जिस बात से निषेध किया जाता है, वहीं-वहीं जाता है।एक पूरा जीवन बनेगा या बिगड़ेगा और वह आप पर निर्भर

बच्चे पर कभी भी दबाव डालकर, आग्रह करके किसी अच्छी दिशा में ले जाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। वही बात अच्छी दिशा में जाने के लिए सबसे बड़ी दीवार बन जाएगी। बच्चों को बदलना हो तो खुद को बदलना जरूरी है। अगर बच्चों से प्रेम हो तो खुद को बदल लेना जरूरी है। जब तक आपके कोई बच्चा नहीं था, तब तक आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं थी। बच्चा होने के बाद एक अद्भुत जिम्मेदारी आपके ऊपर आ गई। एक पूरा जीवन बनेगा या बिगड़ेगा और वह आप पर निर्भर हो गया। अब आप जो भी करेंगे उसका परिणाम उस बच्चे पर होगा।

Posted By: Satyendra Kumar Singh