यह अदालत का ऐतिहासिक फैसला है लेकिन उत्तर क्षेत्र रेलवे को इससे करारा झटका लगा है. अदालत ने मुआवजे के मामले में सुनवाई के दौरान रेलवे को फटकार लगाते हुए ऊना तक आने वाली जनशताब्दी ट्रेन को अवार्ड जब्त कर प्रभावित के सुपुर्द करने का आदेश जारी किया है. करोड़ों रुपये की इस ट्रेन को प्रभावित व्यक्तियों के कब्जे में दिलाने के लिए अदालत के कर्मचारी स्थानीय रेलवे स्टेशन पर पहुंचे थे.


तो जब्त होगी 'जनशताब्दी ट्रेन'
रेलवे ने 16 अप्रैल से पहले ऊना जिले के दिलवां निवासी किसान मेला राम व मदन लाल को जमीन का मुआवजा उपलब्ध नहीं करवाया तो जनशताब्दी ट्रेन इन लोगों के नाम हो जाएगी. इस ट्रेन को बचाने के लिए अब रेलवे को मुआवजा भरना होगा. इन दोनों प्रभावितों को रेलवे ने करीब 35 लाख रुपये का मुआवजा देना है. इतनी राशि अदा करने के लिए अदालत ने करीब दो साल पहले रेलवे को निर्देश दिए थे. रेलवे ने स्थानीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने भी रेलवे को निर्देश दिया था कि वे मुआवजा छह माह के भीतर कोर्ट में जमा कराए अन्यथा अपील खारिज कर दी जाएगी. रेलवे की ओर से यहां कथित तौर पर लापरवाही हुई और छह महीने की अवधि के भीतर पैसा अदा नहीं किया गया. इस संबंध में प्रभावितों ने स्थानीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में मुआवजा दिलाने के लिए आवेदन किया था. अदालत काफी समय से इस मामले पर रेलवे के रवैये का अध्ययन कर रही थी. अदालत ने रेलवे के कथित तौर पर लापरवाही वाले रवैये पर फटकार लगाते हुए प्रभावितों से रेलवे की स्थानीय स्तर पर संपत्ति का ब्योरा मांगा था. प्रभावितों के अधिवक्ता ने अदालत को यहां आने वाली चार प्रमुख ट्रेनों के संबंध में जानकारी दी थी. अदालत ने इनमें ऊना से दिल्ली के बीच चलने वाली जनशताब्दी को अवार्ड करने के निर्देश दिए. अदालत के कर्मियों को 16 अप्रैल तक यह संपत्ति प्रभावितों के हवाले कराने को कहा गया है. इस निर्देश का पालन करते हुए अदालत के कर्मचारी स्थानीय रेलवे स्टेशन में भी प्रभावितों और उनके अधिवक्ता को लेकर पहुंचे थे लेकिन उस समय वहां यह ट्रेन नहीं थी. अब 16 अप्रैल तक रेलवे इस मुसीबत से किस तरह छुटकारा पा सकती है यह देखना शेष है.क्या था मामला


ऊना से तलवाड़ा के बीच रेललाइन का विस्तार हो रहा है. वर्ष 2011 को दिलवां के मेला राम व मदन लाल ने ट्रेन के ट्रैक के लिए उनकी भूमि के अधिग्रहण के बदले कम मुआवजा मिलने के संबंध में अपील की थी. अदालत ने उनकी अपील की सुनवाई में रेलवे को प्रभावित मेला राम को 8,91,424 रुपये और मदन लाल को 26,53,814 रुपये मुआवजा देने को कहा था. रेलवे ने इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी जो दिसंबर 2013 को खारिज हो गई थी. अदालत ने अपने फैसले में लिखा है कि लगता है रेलवे इस मामले को जानबूझकर लटका रही है. लिहाजा अदालत इस संपत्ति को जब्त कर प्रभावितों को देने का फैसला करती है.

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Posted By: Prabha Punj Mishra