- इनके तर्कों के आगे असहाय बने रहे तीन डीएम और चार एसएसपी

- दो साल के दौरान कथित सत्याग्रहियों ने शासन-प्रशासन को रखा अंगूठे पर

 

 

मथुरा: किसी भी मामले में धरना-प्रदर्शन के लिए कलेक्ट्रेट स्थित वटवृक्ष के नीचे आंदोलन करने आए कथित सत्याग्रहियों को तत्कालीन जिलाधिकारी विशाल चौहान ने जवाहर बाग की ओर भेज दिया। धरने की अनुमति तो सिर्फ दो दिन की थी, मगर इन प्रदर्शनकारियों ने ऐसा जाल बिछाया कि दो साल तक इन्हें हटाने के लिए तीन डीएम और चार एसएसपी भी असहाय बने रहे। इसकी परिणति गुरुवार को खूनी ऑपरेशन के रूप में हुई जिसमें पुलिस महकमे ने अपने दो जांबाज अफसर हमेशा के लिए खो दिए।

 

ये वाकया 15 मार्च 2004 का है। रामवृक्ष यादव की अगुवाई में स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह और स्वाधीन भारत सुभाष सेना के तीन हजार से अधिक से कथित सत्याग्रहियों ने दो दिन के लिए तत्कालीन डीएम विशाल चौहान से धरना प्रदर्शन की अनुमति मांगी। कलेक्ट्रेट परिसर में व्यवधान का हवाला देते हुए इन्हें जवाहर बाग में प्रदर्शन की अनुमति दे दी गई। इस दौरान एसएसपी अखिलेश मीणा थे। मंजूरी की अवधि समाप्त होने के बाद जब कथित सत्याग्रही नहीं निकले तो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच वार्ता हुई थी। सत्याग्रहियों ने बाबा जयगुरूदेव को मृत्यु प्रमाण पत्र और स्वाधीन भारत की करेंसी लागू करने और एक रुपये में साठ लीटर डीजल दिए जाने की मांग प्रशासन के सामने रख दीं। साथ ही जयगुरुदेव को अगवा कर लिए जाने की अपील स्थानीय जिला जज के यहां दाखिल कर दी और पंकजबाबा, रामप्रताप सिंह और उमांकात तिवारी को प्रतिवादी बना दिया। रामवृक्ष यादव ने तब अफसरों से कह दिया कि उनका मामला अदालत में विचाराधीन है ओर जब तक इसका फैसला नहीं आएगा। जवाहर बाग में उनका पड़ाव जारी रहेगा।

 

प्रशासन और पुलिस के अधिकारी वापस लौट आए। इसके बाद कथित सत्याग्रहियों ने जवाहर बाग पर कब्जा करने के लिए पहले टेंट ताने और फिर उद्यान कर्मियों को भी धमकाना और मारपीट भगाना शुरू कर दिया। स्टोर और नलकूप पर कब्जा कर लिया गया। कब्जे को हटवाने के लिए तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट हेम सिंह और एसओ सदर प्रदीप पांडेय इनके शिविर में गए। इन अफसरों को बंधक बना लिया गया। रिहा करने को गई फोर्स को कथित सत्याग्रहियों ने दौड़ा दिया। इसमें सिटी मजिस्ट्रैट और एसओ सदर मामूली घायल भी हो गए। डीएम विशाल कुमार चौहान के यहां से तबादला होने के बाद बी। चंद्रकला की तैनाती गई और इधर एसएसपी नितिन तिवारी आ गए। इस दौरान उद्यान कर्मियों से की मारपीट के मामले में एसपी सिटी मनोज सोनकर और सीओ सिटी अनिल कुमार यादव जवाहरबाग में गए।

 

इन्हें भी सत्याग्रहियों ने घेर लिया। जैसे-तैसे फोर्स इन्हें बाहर लेकर आया, लेकिन इसके कुछ दिन बाद फोर्स ने कार्रवाई की तो कथित सत्याग्रहियों ने हमला कर दिया। इसमें कोतवाली कुंवर सिंह यादव घायल हुए। मीडिया पर भी हमला किया गया। एसएसपी नितिन तिवारी ने जवाहर बाग को कथित सत्याग्रहियों से खाली कराने की योजना बनाई, लेकिन शासन स्तर से हरी झंडी नहीं दिखाई गई। डीएम बी। चंद्रकला के तबादले के बाद डीएम राजेश कुमार की नियुक्ति की गई। इसके साथ ही नितिन तिवारी को एसएसपी मंजिल सैनी को मथुरा भेजा गया। इस बीच में कथित सत्याग्रहियों ने उद्यान कर्मियों से मारपीट कर दी। एसएसपी मंजिल सैनी ने इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर तीन सत्याग्रहियों को जेल भेज दिया। इसी के साथ कथित सत्याग्रहियों से जवाहर बाग को खाली कराने के लिए पुलिस फोर्स की मांग तेज कर दी गई। मगर, मंजिल सैनी का इटावा ट्रांसफर हो गया और इनके स्थान पर डॉ। राकेश कुमार सिंह को इटावा से मथुरा भेजा गया।

 

अप्रैल के पहले सप्ताह में तहसील पर हमला करने पर वर्तमान जिलाधिकारी राजेश कुमार और एसएसपी डा राकेश सिंह ने ऑपरेशन जवाहरबाग की रूपरेखा बनानी शुरु कर दी थी। बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय पाल तोमर ने 20 मई 2015 जवाहर बाग को खाली कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस पर कार्रवाई न होने पर कोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी। हाईकोर्ट के आदेश अनुपालन कराने के लिए जिला प्रशासन ने प्रमुख सचिव गोपनीय (गृह) को पत्र लिखा। आदेश का अनुपालन न होने पर हाइकोर्ट ने अवमानना कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए।

 

एसएसपी डा राकेश सिंह ने एडीजी कानून व्यवस्था, आइजी और डीआइजी से फोर्स की मांग की। आइजी पीएसी एसबी शिरोडकर की रिपोर्ट पर डीआइजी अजय मोहन शर्मा ने आगरा, मैनपुरी और फीरोजाबाद का फोर्स आंवटित कर दिया, जबकि पीएसी भी भेज दी गई। पर शासन ने एडीएम, एसडीएम, एसपी, सीओ और महिला पुलिस आवंटित नहीं की। इधर तहसील पर हमला होने के बाद जवाहर बाग को खाली कराने के लिए आंदोलन शुरू हो गए और प्रशासन पर दबाव बढ़ता चला गया। पांच बार कार्ययोजना भी बनाई गई, लेकिन हर बार फोर्स न मिलने के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी। प्रशासन ने सत्याग्रहियों को पुलिस का भय दिखा कर निकालने के लिए दो महीने तक समय दिया। बिजली काट दी गई और दूध की सप्लाई भी दो दिन पहले बंद कर दी गई थी।

Posted By: Inextlive