Jamshedpur: नक्सलियों ने केमिकल बम का इस्तेमाल करने की पूरी तैयारी कर ली है. खुफिया विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इसके बेहतर इम्प्लीमेंटेशन के लिए वे इंजीनियर्स की हेल्प ले रहे हैं. अगर वे अपने मनसूबों में कामयाब हो गए तो पुलिस के लिए नई प्रॉब्लम खड़ी हो सकती है. नक्सलियों ने पहले भी जवान की बॉडी में बम प्लांट कर सनसनी फैलायी थी. इसकी वजह है स्टेट पुलिस के पास प्रोपर बम स्क्वायड का नहीं होना.

नहीं है bomb squad
झारखंड में मैक्सिमम डिस्ट्रिक्ट पुलिस के पास अपना बम स्क्वायड नहीं है। इसके लिए उसे दूसरी एजेंसीज पर डिपेंड रहना पड़ता है। हालांकि, हर डिस्ट्रिक्ट में बम स्क्वायड के गठन का प्रयास पहले हो चुका है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई पॉजिटिव स्टेप नहीं लिया जा सका है। उधर, डीजीपी राजीव कुमार का कहना है कि कुछ डिस्ट्रिक्ट के पास बम स्क्वायड है और बम स्क्वायड को लेकर कोई प्रॉब्लम नहीं है।

स्टेट पुलिस के एक सीनियर रिटायर्ड ऑफिसर के मुताबिक झारखंड में एसटीएफ, स्पेशल ब्रांच, पीटीसी हजारीबाग, झारखंड जगुआर के अलावा सीआरपीएफ के पास अपना बम स्क्वायड है। स्टेट पुलिस को जरूरत पड़ती है या नक्सल ऑपरेशन में जाना होता है तो इनकी हेल्प ली जाती है। इन्फॉर्मेशन के मुताबिक बम डिस्पोज करने में किसी तरह की प्रॉब्लम न आए, इसके लिए सेंट्रल गवर्नमेंट की पहल पर बीएसएफ मेरू को भी स्टेट पुलिस के साथ टैग किया गया है। इसकी बम स्क्वायड टीम बेहतर है और जरूरत पडऩे पर स्टेट पुलिस इनकी भी हेल्प ले सकती है।

भेजा गया था proposal
स्टेट के फॉर्मर डीजीपी जीएस रथ जब स्पेशल ब्रांच में थे उस वक्त बम स्क्वायड के लिए एक प्रपोजल तैयार कर भेजा गया था। इसके बाद जब वे स्टेट के डीजीपी बने तब एक प्रोपोजल गवर्नमेंट को भेजा गया था। इस प्रपोजल के जरिए सीआईडी के अलावा जैप के साथ ही सभी डिस्ट्रिक्ट को भी बम स्क्वायड दिया जाना था, लेकिन इस मामले में अब तक कुछ नहीं हो सका है। झारखंड में नक्सल अटैक कोई नई बात नहीं है। इस साल स्टेट में कई मेजर नक्सल अटैक हुए हैं और इनमें सिविलियंस के साथ ही कई पुलिसकर्मी भी शहीद हो चुके हैं। यूनियन होम मिनिस्ट्री द्वारा जारी लेटेस्ट स्टेटिसटिक्स के मुताबिक कंट्री के टोटल इंसिडेंट्स का 80 परसेंट केवल झारखंड, छत्तीसगढ़ और बिहार में ही हुए हैं।

इस साल हुई है 76 लोगों की मौत
स्टेट में इस साल अब तक 76 लोगों की नक्सली हमले में मौत हो चुकी है। इनमें 14 पुलिस इंफॉर्मर्स, 25 सिक्योरिटी फोर्स के जवान और 37 सिविलयन शामिल हैं। इस साल सबसे बड़ी घटना दुमका की है, जहां नक्सली हमले में एसपी समेट 5 जवान शहीद हो गए थे। पिछले साल वर्ष 2012 में नक्सलियों ने बारीगनवा डिस्ट्रिक्ट के जंगल में एक घटना को अंजाम दिया। इसमें लैंडमाइन विस्फोट में भंडरिया पुलिस स्टेशन के इंचार्ज समेत 13 जवान शहीद हो गए थे।

एसटीएफ, झारखंड जगुआर के पास बम स्क्वायड है। जवानों को प्रॉपर ट्रेनिंग भी दी जाती है। स्टेट पुलिस द्वारा इनका यूज किया जाता है। जहां तक डिस्ट्रिक्ट की बात है, तो कुछ डिस्ट्रिक्ट पुलिस के पास बम स्क्वायड हैं।
-राजीव कुमार, डीजीपी, झारखंड
स्टेट में एसटीएफ, स्पेशल ब्रांच, पीटीसी व अन्य के पास बम स्क्वायड है। डिस्ट्रिक्ट में बम स्क्वायड नहीं है। डिस्ट्रिक्ट के साथ ही जैप के लिए बम स्क्वायड को लेकर मेरे कार्यकाल में प्रपोजल भेजा गया था।
-गौरी शंकर रथ, फॉर्मर डीजीपी, झारखंड

Report by : goutam.ojha@inext.co.in

Posted By: Inextlive