Jamshedpur: झारखंड को नया स्टेट बने 12 साल हो चुका है. इस दौरान बीएसआरटीसी यानी बिहार स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के तहत ही झारखंड स्टेट की बसें चल रही थी. लंबे समय तक एसेट्स को लेकर विवाद भी चला. यह विवाद फाइनलाइज तो हुआ लेकिन कई एसेट्स बिहार में ही रह गए. ऐसे में झारखंड स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन खुद को बेहतर तरीके से सर्वाइव नहीं कर सका. इस कारण इसकी सिचुएशन बदतर होती जा रही है.

पहले चलती थी 35 buses
कुछ साल पहले तक झारखंड से 35 बसें विभिन्न एरिया के लिए चलती थीं, लेकिन अब वैसी बात नहीं रही। आश्चर्य की बात है कि पटना के लिए भी झारखंड स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसें नहीं चलती हैं।

चल रही है केवल 8 buses
झारखंड स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के तहत प्रेजेंट में केवल 8 बसें ही चल रही हैं। ये बसें  गया, औरंगाबाद, बोकारो व रांची के लिए चलती हैं। पहले जहां पटना के लिए भी बसें चलती थीं, वह बंद हो गई हैैं। इस कारण अब स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट की बसों से पटना व अन्य स्टेट जाना एक सपना ही हो गया है। जो बसें चल रही हैैं, उनकी एक बार भी रिपेयरिंग नहीं की गई है।

खराब बसों से भरा है depot
झारखंड स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के जमशेदपुर डिपो की बात करें तो स्थिति काफी बदहाल है। इस डिपो लगभग 40 बसें पड़ी हैं। इनमें 15 तो पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैैं, अन्य थोड़ी कंडीशन में हैं, लेकिन छोटी-मोटी प्रॉब्लम के कारण इन्हें खड़ा कर दिया गया है।

छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड हैं बेहतर position में
झारखंड के साथ ही नये स्टेट बने उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ की स्थिति भी इस मामले में काफी बेहतर है। उत्तराखंड रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन 2003 में बना और इसके पास 1200 बसें और 18 डिपो भी हैं। यहां से कई जगहों के लिए बसें चलती हैं। इनमें वॉल्वो व हाइटेक बसों के अलावा ऑर्डिनरी बसें
भी शामिल हैैं। उधर छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट ने लोगों को बेहतर फैसिलिटी देने के उद्देश्य से ट्रांसपोर्ट ïïïव्यवस्था को प्राइवेट पार्टी के हवाले कर दिया है।

प्राइवेट बसों का market हो रहा high
स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट की बसों के न होने के कारण लोगों को प्राइवेट बसों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। इतना ही नहीं प्राइवेट व स्टेट की बसों के किराये में काफी डिफरेंस है। एग्जांपल के तौर पर अगर प्राइवेट बस रांची के लिए 120 रुपए चार्ज करते हैैं तो स्टेट बसों में 80 रुपए किराया है।

बिहार गवर्नमेंट द्वारा प्राइवेट बसों के साथ टाईअप किया गया है। यहां से भी गवर्नमेंट को प्रपोजल दिया गया था कि बसें कम हैैं तो प्राइवेट पार्टी के साथ अंडरटेकिंग के जरिए संचालन किया जा सकता है। इससे रेवेन्यू भी बढ़ेगा। हालांकि अब तक इस दिशा में कुछ नहीं हो सका है।
-विनोद सिंह, डिविजनल मैनेजर, जेएसआरटीसी

Report by: goutam.ojha@inext.co.in

Posted By: Inextlive