MGM में नहीं होती blood group की जांच
Pathology को अलग-अलग बांटा गया है
जहां तक ब्लड ग्र्रुपिंग की बात है तो एमजीएम हॉस्पिटल की पैथोलॉजी में यह फैसिलिटी नहीं है। यहां पैथोलॉजी को अलग-अलग बांटा गया है। कहीं यूरिन टेस्ट होता है, तो कहीं माइक्रोबायोलॉजी टेस्ट तो कहीं कुछ और, लेकिन ब्लड ग्र्रुपिंग की फैसिलिटी यहां अवेलेबल नहीं है। इस कारण पेशेंट्स को काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है।
एमजीएम हॉस्पिटल का अपना ब्लड बैंक है। इस ब्लड बैंक में धीरे-धीरे सभी आधुनिक सुविधाएं अवेलेबल करायी जा रही हैं। यहां ब्लड ग्र्रुपिंग तो होती है, लेकिन ब्लड डोनर व अन्य का, क्योंकि ज्यादातर यहां मैचिंग व दूसरे काम होते हैं। पहले यहां गुड फेथ में पेशेंट्स की ग्र्रुपिंग भी की जाती थी, लेकिन इससे ब्लड बैंक का काम अफेक्टेड होता था। इस कारण ग्र्रुपिंग को अवॉयड किया जा रहा है।
Hospital में daily आते हैं 5 से 6 accidental cases
रोड एक्सीडेंट के अलावा क्रिमिनल केसेज पहले एमजीएम हॉस्पिटल ही लाए जाते हैैं, लेकिन प्रोपर ट्रीटमेंट फैसिलिटी न होने के कारण इन्हें दूसरे जगह रेफर कर दिया जाता है। औसतन एमजीएम हॉस्पिटल में डेली 5 से 6 एक्सीडेंटल केसेज आते हैं। माइनर केसेज तो देख लिए जाते हैं, लेकिन क्रिटिकल सिचुएशन में प्रॉब्लम होती है। ऐसे में अगर ब्लड की जरूरत पड़े तो यहां ग्र्रुपिंग की फैसिलिटी न होने के कारण प्रॅाब्लम होती है।
एमजीएम हॉस्पिटल में इंडोर व ओपीडी मिलाकर डेली औसतन 300 पेशेंट्स आते हैं। इनमें से लगभग 100 से 150 पेशेंट्स को क्लिनिकल पैथोलोजी के लिए रेफर किया जाता है। इनमें कई तरह की जांच होती है, लेकिन ग्र्रुपिंग नहीं होती है। हॉस्पिटल के एक स्टाफ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यहां ग्र्रुपिंग की कोई जरूरत ही नहीं पड़ती है, इस कारण यह जांच यहां नहीं की जाती है।Emergency में Jamshedpur Blood Bank एक मात्र सहारा
एमजीएम हॉस्पिटल स्थित ब्लड बैैंक तो 24 आवर फंक्शनल है, लेकिन हॉस्पिटल की पैथोलॉजी 1.30 बजे बंद हो जाती है। अगर पेशेंट को देर रात ब्लड की या फिर ब्लड ग्रुपिंग की जरूरत पड़ जाए तो जमशेदपुर ब्लड बैैंक का सहारा लेना पड़ता है।
नहीं है trauma centre
एमजीएम हॉस्पिटल कोल्हान का एकमात्र बड़ा हॉस्पिटल है। गवर्नमेंट द्वारा हॉस्पिटल को करोड़ो रुपए का फंड भी दिया जाता है, लेकिन कई ऐसी मेडिकल फैसिलिटी है, जो यहां अवेलेबल नहीं है। सबसे अहम बात यह है कि यहां ट्रॉमा सेंटर नहीं है। इस कारण इमरजेंसी केस को यहां टेकल नहीं किया जा सकता। इस तरह के मामलों को प्राइवेट हॉस्पिटल या फिर रिम्स में रेफर कर दिया जाता है। कुल मिलाकर इमरजेंसी सिचुएशन से निपटने की कोई फैसिलिटी यहां अवेलेबल नहीं है।
-डॉ एएन झा, लैब इंचार्ज, एमजीएम
पहले ब्लड बैैंक में पेशेंट्स की ब्लड ग्र्रुपिंग की जाती थी, लेकिन यहां पहले से ही काफी काम है और स्टाफ की भी कमी है। ऐसे में काफी प्रॉब्लम होती है।
-डॉ वीबीके चौधरी, इंचार्ज, ब्लड बैंक, एमजीएमReport by :jamshedpur@inext.co.in