अब तो पुलिस पर दिखा रहे ‘दबंगई’
एक दौर था जब एक सिपाही को देखकर भी क्रिमिनल्स व आम पब्लिक सतर्क हो जाते थे। आलम यह है कि क्रिमिनल्स का पुलिस ऑफिसर्स का भी कोई खौफ नहीं दिखता। अब तो पब्लिक थाना में घुसकर पुलिस की पिटाई करने लगे हैं। पुलिस से लोगों का भरोसा कम होता जा रहा है। लोग खुलेआम पुलिस का विरोध कर रहे हैं।
घेराव का प्रेशर है कॉमनहर छोटी बात पर पुलिस स्टेशन में हंगामा करना या उसका घेराव करना अब कॉमन है। इसके जरिए लोग पुलिस पर अपनी बात मनवाने का दबाव देते हैं। पब्लिक के साथ ही इस मामले में पॉलिटिकल लीडर्स काफी आगे हैैं। इनमें से कई तो शांति समिति व पुलिस-पब्लिक हेल्पलाइन में भी शामिल हैं।
फरवरी में हुआ था गठन
पुलिस-पब्लिक हेल्पलाइन का गठन डीजीपी जीएस रथ के निर्देश के बाद किया गया है। सिटी में 4 फरवरी को हर थाना में मीटिंग हुई थी और समिति का गठन कर इसकी सूचना एसएसपी को दी गई। इसके बाद से यह समिति काम कर रही है। इस समिति में एक प्रेसिडेंट, एक सेक्रेटरी सहित 15 लोग शामिल रहते हैं। इनके संबंधित थाना के थाना प्रभारी समिति के को-ऑर्डिनेटर होते हैैं।
पहले भी हुई है ऐसी घटनाएं
-1 जुलाई 2012 को बिरसानगर थाना में अमूल्यो कर्मकार ने अपने समर्थकों के साथ घुसकर गौतम घोष की पिटाई कर दी थी। बीच-बचाव करने पर थाना प्रभारी के अलावा सिपाही और मुंशी को भी पीटा। हालांकि, बाद में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया है।
- बिष्टुपुर थाना एरिया स्थित धतकीडीह फुटबॉल मैदान में खेल के दौरान हुई मारपीट के मामले में दोनों पक्षों के लोग थाना पहुंचे। इसके बाद पुलिस के सामने ही दोनों पक्ष भिड़ गए। यहां बहसबाजी व हंगामा भी हुआ। इस दौरान थाना में पुलिस के साथ भी धक्का-मुक्की की गई.
४30 जून 2012 को बाबूडीह लाल भïट्टा के लोगों ने सिदगोड़ा थाना का घेराव कर वहां जमकर हंगामा किया। वे लोग वारंटी भोला सांडिल की अरेस्टिंग का विरोध कर रहे थे। इस दौरान लोगों ने थाना में घुसकर पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी भी की।
- 25 जून 2012 को टीएमएच में एडमिट इंटर स्टेट व्हीकल लिफ्टर इकबाल को अरेस्ट करने पहुंची सरायकेला पुलिस के साथ उसके फैमिली मेंबर्स ने हाथापाई की और अरेस्टिंग का विरोध किया। हालांकि, बाद में पुलिस उसे अरेस्ट करके ले गई।