गम्हरिया स्थित एक्सआईटीई में शनिवार को सेंट फ्रांसिस जेवियर दिवस का आयोजन किया गया.


जमशेदपुर (ब्यूरो): इस अवसर पर प्राचार्य फादर फ्रांसिस ने संत जेवियर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया। उन्होंने कहा कि एक शैक्षणिक संस्थान केवल एक शैक्षिक डिग्री प्राप्त करने के बारे में नहीं, बल्कि उन लोगों के बलिदान और योगदान को याद करने के बारे में भी है जिन्होंने समाज में बदलाव की शुरुआत करने के लिए कठिन परिश्रम किया। संत जेवियर उन्हीं में से एक ब्रांड नेम है।


इसके बाद एक लघु नाटिका द्वारा संत जेवियर्स की जीवनी को दर्शाया गया। समूह नृत्य, प्रार्थना नृत्य से संत जेवियर दिवस मनाया गया। छात्र-छात्राओं द्वारा मनमोहक नृत्य एवं गीत की प्रस्तुति की गई। पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉक्टर राधा महाली का अहम योगदान रहा। इस अवसर पर उप प्राचार्य फादर मुक्ति, डॉक्टर पार्था प्रिय दास, प्रोफेसर निशिथ, डॉक्टर संचिता घोष चौधरी, प्रोफेसर सुष्मिता सेन, फ्रोफेसर रिया, फ्रोफेसर शालूकांत, प्रोफेसर शैलेश दुबे, डॉ प्रमोद सिंह, प्रोफेसर अमित, प्रोफेसर ज्योत्सना, डॉक्टर महुआ डे एवं नवल चौधरी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विक्रम और फरहीन जबकि धन्यवाद ज्ञापन ऋतुराज ने किया।शहीदों की जीवनी को करें आत्मसात

अखिल झारखंड छात्र संघ के कोल्हान अध्यक्ष हेमंत पाठक के नेतृत्व में मानगो चौक स्थित वीर शहीद खुदीराम बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। हेमंत पाठक ने कहा वीर शहीदों के जीवनी को पढऩे नहीं, बल्कि उसको आत्मसात करने की आवश्कता है। इस दौरान हेमंत पाठक, राजेश महतो, सैकत सरकार, साहेब बागती, जगदीप सिंह, शैलेश आनंद, अमृतांशु सिंह, राहुल पाठक, अभय गौड़, राहुल गोराई, अंकुश कुमार, शीतल कुमारी, पार्वती टुडू, राजू कर्मकार, मृदुल रहमान, करण गोराई आदि उपस्थित थे।वर्कर्स कॉलेज इकाई ने खुदीराम बोस को किया नमनअखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज इकाई के द्वारा मानगो स्थित शहीद खुदीराम बोस चौक पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया गया। इस दौरान परिषद के बापन घोष, शुभम राज, विकास गिरी, युवराज, विशाल, गुरुचरण, राहुल, अजय, अभिषेक और प्रिंस उपस्थित रहे। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बापन घोष ने कहा खुदीराम बोस हम सभी युवाओं के लिये प्रेरणा हैं। उनके बलिदान को एक दिन नहीं सदैव याद करना चाहिए। उनहोंने कहा कि अग्नि शिशु शहीद खुदीराम बोस पहले ऐसे क्रांतिकारी थे, जो सबसे कम उम्र में फांसी पर चढ़ा दिए गए थे। महज 18 साल की उम्र में उन्हें फांसी दे दी गई थी। कहा कि सभी छात्र और युवा वर्ग को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

Posted By: Inextlive