त्योहार शुरू होते ही शहर में मिठाइयों का सैंपल कलेक्ट करने का काम शुरू हो जाता है. लेकिन सिर्फ सैंपल कलेक्ट किया जाता है इसकी जांच क्या निकलकर आती है किसी को पता नहीं.


रांची (ब्यूरो) : त्योहार में जब सैंपल लिया जाता है और जांच करने में जितना समय लगता है, तब तक त्योहार ही खत्म हो जाता है और लोग मिलावट वाली मिठाई त्योहार में खूब खा लेते हैं। इस बार भी तैयारी शुरू कर ली गई है। जांच टीम भी तैयार है। दो साल से बंद थी जांचरांची में दो साल से सैंपल की जांच बंद थी, जिसे अब शुरू किया गया है। दो साल के बाद अब रांची में ही सैंपल की जांच ो पाएगी, इसके पहले तक झारखंड का सैंपल बंगाल समेत अन्य राज्यों में जांच के लिए भेजा जाता था, अब दो साल के बाद मान्यता मिली है। दुकानदार नहीं लगा रहे डिसप्ले


मिठाई कब की बनी हुई है, इसका डिसप्ले भी दुकानदार नहीं लगा रहे हैं। मिठाई दुकान संचालकों को मिठाई बनाने की डेट और बेस्ट बिफ ोर की डेट भी मिठाइयों के साथ लगाने को कहा गया है। कुछ दिनों तक तो यह सिस्टम दुकानों में देखने को मिला। इसके बाद सब कुछ पहले की तरह ही हो गया है। वहीं, मिठाइयों की कोई डिटेल्स डिसप्ले में नहीं लगाई जा रही है। सिर्फ सैंपल लिया जा रहा

सरकार की ओर से मिठाई दुकानों से सैंपल लेने की तैयारी की जा रही है। इसके पहले तक जांच की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने के कारण पिछले साल भी जो सैंपल लिए गए थे, उनकी जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। ऐसे में इस बार अगर सैंपल इक_ा कर भी लिए जाते हैं, तो पूजा के गुजर जाने तक रिपोर्ट आनी मुमकिन नहीं है। मिलावटखोरों पर एक्शन नहींजांच के नाम पर सैंपल लेने की खानापूर्ति तो होती है, लेकिन रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण किसी मिलावटखोर पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो पाती। यही वजह है कि मिलावट करके मिठाई तैयार करने वालों को कोई भय ही नहीं है। रांची के कई लोगों के सैंपल में मिलावट पाई गई, लेकिन उनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। मैनपावर की भी कमी

नामकुम स्थित फू ड लैबोरेटरी में सिर्फ दो लोग ही काम कर रहे हैं। एक फूड टेक्नीशियन हैं और एक क्लर्क। इन्हीं दोनों के भरोसे जांच की खानापूर्ति चल रही है। जिला प्रशासन के साथ मिलकर फूड इंस्पेक्टर सैंपल कलेक्ट करते हैं और जांच होती है। टेक्निकल अधिकारी नहीं होने के कारण जांच रिपोर्ट आ ही नहीं रही है। झारखंड में फूड टेस्टिंग लैब की कमी है। राज्य में दो फूड टेस्टिंग लैब है। एक रांची और एक दुमका में। दुमका स्थित लैब की स्थिति और ज्यादा खराब है। वहां न तो जांच के लिए इक्विपमेंट्स हैं और न ही अन्य संसाधन। खतरनाक केमिकल की मिलावट आमतौर पर मिलावटखोर ऐसे केमिकल का इस्तेमाल करते हैं, जो बाजार में सस्ते मिलते हैं। इनमें मेटानिल येलो कलर, म्यूरिएटिक एसिड, लीड नाइट्रेट, फॉर्मालीन और सुडान। थ्री जैसे बैन केमिकल्स मिलाए जाते हैं। इनको आमतौर पर कैंसर कारक और विषाक्त माना जाता है। इनसे तैयार मिठाइयां कैंसर से लेकर चर्म रोग तक का कारण बन सकती हैं। आप भी करा सकते हैं जांचफू ड सेफ्टी एक्ट के तहत कोई भी उपभोक्ता किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ की जांच करा सकता है। अगर किसी उपभोक्ता को मिलावट का शक होता है तो वह सैंपल लेकर लैब में भेज सकता है। इसके लिए एक हजार रुपए जमा करना होता है। मिलावट पाए जाने पर राशि लौटाने और संबंधित दुकानदार पर कार्रवाई का भी प्रावधान है। मिलावट से संबंधित शिकायत सीएस ऑफि स में एसीएमओ से की जा सकती है।

Posted By: Inextlive