रिम्स सहित सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टर लिख रहे हैं ब्रांडेड और महंगी दवाएं रिम्स में केवल साल्ट कॉम्बिनेशन ही लिखना है पर नहीं मान रहे डॉक्टर. कम इनकम वाले मरीजों के परिजन दवाएं खरीद कर हैं परेशान.


रांची (ब्यूरो)। राज्य के गरीब-गुरबों का एक मात्र सहारा रिम्स में भी लूट मची हुई है। आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति यहां अपना बेहतर इलाज कराने की उम्मीद लेकर आता है, लेकिन यहां आकर उसकी उम्मीद पर पानी फिर रहा है। रिम्स के मैक्सिमम डॉक्टर महंगी-महंगी दवाइयां लिख रहे हैैं, जो रिम्स के जन औषधि केंद्र में नहीं मिल रहा है। मजबूरन लोगों को ये दवाइयां प्राइवेट मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ रही है। 10 दिन के लिए जो दवाएं रिम्स के जन औषधि केंद्र में महज तीन से पांच सौ रुपए में मिल सकती है, उसके लिए प्राइवेट मेडिकल स्टोर पर दो हजार से भी ज्यादा रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। मरीज के परिजन सस्ती दवा लिखने की गुहार लगाते हैैं, लेकिन डॉक्टर ब्रांंडेड दवा लिखने से बाज नहीं आ रहे हैैं। डॉक्टर लिखते हैं ब्रांड नेम
रिम्स में मरीज को देखने के बाद नियमत: डॉक्टर को प्रिस्क्रिप्शन में दवा का कंपोजिशन लिखना है, लेकिन मैक्सिमम डॉक्टर दवा का ब्रांड नेम लिखते हैं। इसे जन औषधि केंद्र वाले नहीं समझ पाते और मरीजों को दवा नहीं होने की बात कह देते हंै। वहीं, प्राइवेट मेडिकल स्टोर वाला आसानी इसे समझ जाता है। इसके पीछे बड़ा खेल है। नामी-गिरामी दवा कंपनी के मेडिकल रिप्रजेंटेटिव लुभावने ऑफर और महंगे गिफ्ट देकर डॉक्टर को लुभाने की कोशिश करते हैं। वे मेडिकल स्टोर पर भी जाकर दुकानदार को भी खुश रखते हैं। यही वजह है कि रिम्स में इलाज के लिए आने वाले बेबस और लाचार मरीजों के परिजनों को महंगी दवाईयां खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। दो-तीन सौ के बदले लगे हजार बुधवार को रामगढ़ करमा से निराला देवी के साथ इलाज के लिए उनके पति बुधु मांजी और देवर संतोष रिम्स पहुंचे। निराला देवी का इलाज डॉ अंशुल कुमार और टीबी एंड चेस्ट ओपीडी यूनिट के डॉ ब्रजेश मिश्रा करते हैं। निराला को टीबी है। पेशेंट को देखने के बाद डॉक्टरों ने जरूरी दवा लिख दी। दवा लेने जब उनके पति जन औषधि केंद्र पहुंचे तो वहां दवा नहीं मिली। डॉक्टर साहब ने दवा का कॉम्बीनेशन नहीं बल्कि ब्रांड लिख दिया था। बुधु मांजी को सभी छह तरह की दवा प्राइवेट मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल गई। दस दिन की दवा के लिए बुधु को 2014 रुपए लगे। यही दवा जन औषधि केंद्र में महज दो-तीन सौ रुपए में मिल जाती। निराश और हताश बुधु अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए दवा लेकर बुझे मन से घर लौट गए

Posted By: Inextlive