झारखंड में जेई की दस्तक
-रांची, जमशेदपुर समेत कई जिले में मिले मरीज
-जापानी इंसेफेलाइटिस के टीकाकरण का काम शुरू -10 मई को हटिया स्टेशन पर भी दिया जाएगा जेई का टीका -दो साल पहले बिहार में हुई थी सैकड़ों बच्चों की मौत RANCHI (7 May) : गर्मी परवान चढ़ते ही झारखंड में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) ने पांव पसारना शुरू कर दिया है। छोटे बच्चे सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आ रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए डॉक्टरों की भी टेंशन बढ़ गई है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने इससे बचने के लिए क्-क्भ् साल एज ग्रुप में जेई का टीका लगाने का काम शुरू कर दिया है। सभी सरकारी हॉस्पिटल्स में वैक्सीन अवेलेवल करा दिया गया है। क्0 मई को हटिया स्टेशन पर भी बच्चों को जेई का टीका लगाया जाएगा। यह बीमारी क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर काटने से होती है। रिम्स में एक संदिग्धजेई के मरीज रांची के अलावा सिमडेगा, लातेहार, बुंडू, जमशेदपुर और दुमका में मिले हैं। दो दिन पहले ही जेई से ग्रसित क्0 बच्चों को इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वहीं, रिम्स में भी एक बच्चे को जेई होने की आशंका जताई जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद ही इसकी पुष्टि हो पाएगी। हालांकि, झारखंड में अभी तक किसी बच्चे की मौत इस बीमारी से नहीं हुई है। लेकिन फिर भी यह बीमारी काफी खतरनाक है। चूंकि इस बीमारी के लक्षण शुरुआत में पता नहीं चलते हैं। ऐसे में यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है। जिससे कि मरीज की मौत तक हो जाती है। दो साल पहले जेई की वजह से बिहार में सैकड़ों बच्चे मौत की नींद सो गए थे।
क्0000 में क्0 को होती है बीमारी जेई मच्छरों के काटने से फैलने वाली बीमारी है, जो पूरे वर्ल्ड में प्रति क्0 हजार पर क्0 लोगों को होती है। जेई भी डेंगू, येलो फीवर की तरह होता है। डब्ल्यूएचओ के सर्वे के अनुसार एशिया में हर साल म्8 हजार जेई के मामले सामने आते हैं। वहीं क्भ्-ख्0 हजार मरीजों की मौत इलाज के दौरान हो जाती है। क्या हैं लक्षण -सिरदर्द -तेज बुखार -गले में खरास -पैरालाइसिस फीगर स्पीक्स का लोगो ख्0 हजार लोगों की हर साल एशिया में जेई से होती है मौत क्0 हजार पर वर्ल्ड में क्0 लोगों को होती है यह बीमारी। म्8 हजार जेई के मामले एशिया में हर साल आते हैं सामने। सोर्स-डब्ल्यूएचओ सर्वे