RANCHI : सिटी में ई-रिक्शा की सवारी करना खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि कई ई-रिक्शा की हैंडल नाबालिगों के हाथ में होती है। न तो इनके पास ड्राइविंग लाइसेंस है और न नही वाहन चलाने का कोई एक्सपीरिएंस। ऐसे में जिला प्रशासन की नाक के नीचे ये नाबालिग ड्राइवर अपने साथ पैसेंजर्स की जिंदगी से भी खेल रहे हैं। सड़कों पर ये नाबालिग बेधड़क ई-रिक्शा को दौड़ा रहे हैं। ट्रैफिक रुल्स एंड रेगुलेशंस को भी ये तोड़ रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस की भी नजर इनपर जाती है, लेकिन किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।

नहीं हो रहा कोई एक्शन

राजधानी की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाने वाले नाबालिगों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। सिर्फ मेन रोड में ही 50 से ज्यादा नाबालिगों के हाथ में ई-रिक्शा की हैंडल है। सुबह से शाम तक वे सैकड़ों यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचा रहे हैं। यह सब हो रहा ट्रैफि क पुलिस के सामने, मगर इनके खिलाफ न तो कार्रवाई होती है और न ही उन्हें समझाया जाता है। ऐसे में ये नाबालिग ड्राइवर ट्रैफिक सिस्टम के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं।

क्या कहता है मोटर वाहन अधिनियम

मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत कोई भी 18 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर वाहन नहीं चला सकता। इनके लिए 50 सीसी तक के वाहन चलाने की छूट है। मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 18 के अनुसार 20 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक स्थान पर परिवहन वाहन चलाना कानूनन जुर्म है। लाइसेंस बनवाने के लिए पहले लर्निंग बनवाना जरूरी होता है। पर नियम यह कहता है कि लर्निंग लाइसेंस भी केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा, जो आवेदन फ ार्म में भरी गई श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।

हादसे पर भेजा जा सकता रिमांड होम

यदि किसी परिस्थिति में वाहन चालक द्वारा सार्वजनिक स्थान पर कोई खतरनाक दुर्घटना हो जाती है, जिसमें किसी की जानमाल की हानि हुई हो तो ड्राइविंग लाइसेंस रद किया जा सकता है। यदि बच्चा गैरकानूनी रूप से वाहन चलाता है और किसी दुर्घटना को अंजाम देता है तो सजा के तौर पर उसे बाल सुधार गृह में भेजा जाता है।

Posted By: Inextlive