मजिस्ट्रेट ऑफिस में तीन कर्मचारी रोज हजार आवेदन. चाहकर भी नहीं हो सकता नियमित काम. पूरे समाहरणालय में है कर्मचारियों का भयंकर अकाल. डिप्रेशन के मरीज हो गए सरकारी कर्मी.


रांची(ब्यूरो)। यदि आपको अपने बच्चों का एडमिशन कराना है, और उसके लिए आपको बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट बनवाना है तो इसके लिए आपको एक साल पहले अप्लाई करना होगा। जी हां, जब स्कूल में जरूरत हो उसी वक्त अगर आप जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर रहे हैं तो यह भूल जाइए की आपको सर्टिफिकेट समय पर मिल जाएगा। दरअसल, सरकारी काम काज की सुस्ती देखनी है तो अपने बच्चोंं के जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करके देख लीजिए। जन्म प्रमाण पत्र बनने से पहले इसके आवेदन चार टेबल से होकर गुजरता है। हर टेबल पर बमुश्किल एक से दो दिन का काम होता है लेकिन सरकारी टेबल पर बैठे सरकारी बाबू इस एक दिन वाले काम में महीनों लगा देते हैं। आवेदन नगर निगम में जमा होता है और मजिस्ट्रेट ऑफिस में इसका वैरिफिकेशन होता है। लेकिन दोनों जगह आवेदन कई महीनों तक लटका कर रखा जाता है। सिर्फ नगर निगम ही नहीं, बल्कि मजिस्ट्रेट ऑफिस में भी आवेदन धूल फांकते नजर आते हैं। अपनी बच्ची के जन्म प्रमाण पत्र लेने के लिए दौड़ रहे मोरहाबादी के रहने वाले संदीप कुमार ने बताया कि अक्टूबर महीने में ही प्रमाण पत्र के लिए अप्लाई किया था। लेकिन जनवरी आ गया अबतक आवेदन वैरिफाई भी नहीं हुआ। संदीप ने बताया कि स्कूल में एडिमशन से पहले प्रमाण पत्र जमा करने को कहा गया था, लेकिन समय पर सर्टिफिकेट नहीं देने से उनके बच्चे का नामांकन नहीं हो पाया। संदीप की तरह और भी कई माता-पिता हैं जो अपने बच्चोंं के जन्म प्रमाण पत्र के लिए ऑफिस-ऑफिस भटक रहे हैं।मैनपॉवर की कमी का हवाला
मजिस्ट्रेट ऑफिस में बैठे कर्मियों का कहना है कि मैनपॉवर की कमी के कारण ऐसी परेशानी हो रही है। हर दिन एक हजार से ज्यादा आवेदन आता है, कर्मचारी के नहीं होने के कारण समय पर काम नहीं होता। सिर्फ एक कर्मी के भरोसे पूरा काम रहता है। आवेदन आने से लेकर उसकी एंट्री कराने, लिस्ट बनाने और साहब से साइन कराकर वापस नगर निगम भेजने के लिए के अलग-अलग कर्मियों की जरूरत है, लेकिन सिर्फ एक कर्मचारी होने के कारण ही काम में लेटलतीफी होती है। जिसका खामियाजा आम नागरिक भुगत रहे हैं। मजिस्ट्रेट कार्यालय में ड्यूटी पर तैनात महिला कर्मी ने बताया कि आवेदन रोकना नहीं चाहते मजबूरी में आवेदन पेंडिंग में चले जाते हैं। आवेदन पर मजिस्ट्रेट का साइन बहुत जरूरी है, लेकिन अलग-अलग ड्यूटी में होने के कारण समय पर आवेदन में साइन भी नहीं हो पाता है। जिम्मेदार पदाधिकारी कभी छुट्टी पर होते हैं तो कभी सरकारी काम में बिजी होते हैं। जिस वजह से बर्थ सर्टिफिकेट वाला काम पेंडिंग रह जाता है। यहां के कर्मियों का कहना है लगातार कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं। नई बहाली नहीं होने से समाहरणालय में कर्मचारियों की भारी कमी हो गई है। जिसका सीधा असर जनता के काम काज पर पड़ रहा है।निगम में 1200 आवेदन पेंडिंग


जन्म प्रमाण पत्र के लिए अमूमन नगर निगम में हर दिन करीब पांच सौ आवेदन आते हैं। लेकिन इन दिनों एडमिशन का सीजन है इसलिए संख्या डबल हो गई है। हर दिन करीब एक हजार आवेदन आ रहे हैं। साइन नहीं होने के कारण मजिस्ट्रेट ऑफिस में करीब 1800 और नगर निगम में करीब 1200 आवेदन अब भी पेंडिंग पड़े हुए हैं। इसमें कुछ तो ऐसे हैं जो दो या तीन महीने से पड़े हुए हैं। जो आवेदक कार्यालय की दौड़ लगाते हैं उनका तो प्रमाण पत्र जारी हो जाता है लेकिन जो ऐसा करने में असमर्थ हैं उनका आवेदन पेंडिग पड़ा रहता है। लोग ढूंढते हुए ऑफिस पहुंचते हैं, जहां खुद से अपना आवेदन खोजते हैं और उसे वैरिफाई करवाने की गुहार लगाते हैं। हर दिन नगर निगम या मजिस्ट्रेट ऑफिस में ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है। आवेदन वैरिफाई कर उसपर हस्ताक्षर करने की ड्यूटी एग्जीक्यूटीव मजिस्ट्रेट शशि निलिमा डुंगडुंग की है। लेकिन अपने बिजी शेड्यूल के कारण वो आवेदन समय पर वैरिफाई नहीं कर पातीं।ऐसे होता है कामसबसे पहले आवेदन नगर निगम में जमा होता है, जहां रजिस्टर में एंट्री करने के बाद उसे मजिस्ट्रेट ऑफिस भेज दिया जाता है। यहां से वैरिफाई होकर आवेदन फिर से नगर निगम को सुपुर्द कर दिया जाता है। जहां रजिस्ट्रर एंट्री, सभी डॉक्यूमेंट का स्केन कर अपलोड किया जाता है, जिसके बाद रजिस्ट्रार के पास अंतिम हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है। यहां भी रजिस्ट्रार के ऑन ड्यूटी नहीं होने की स्थिति में आवेदन पड़ा रहता है। रजिस्ट्रार के साइन के बाद प्रमाण आवेदक को इश्यू कर दिया जाता है। वैसे तो इस पूरे काम के लिए एक हफ्ते का समय निर्धारित है, लेकिन लेटलतीफी के कारण पेंडेंसी बढ़ती चली जाती है।

Posted By: Inextlive