RANCHI: राज्य में एनएच के किनारे से पांच सालों के अंदर हजारों पेड़ काटे गए हैं। सारे पेड़ सड़क चौड़ीकरण के लिए काटे गए हैं। इनमें कई बेशकीमती व फ लदार वृक्ष भी थे, सागवान, शीशम, आम, कटहल, जामुन, इमली बरगद सहित कई पेड़ काटे गए। लेकिन, इन पेड़ों का हिसाब अभी तक नहीं दिया गया है, सारे काटे गए पेड़ों की नीलामी करने की जिम्मेवारी झारखंड राज्य वन विकास निगम को दी गई थी।

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-राष्ट्रीय उच्च पथ के किनारे लगे पेड़ केंद्र सरकार की संपत्ति है।

-चौड़ीकरण के लिए पेड़ काटे जाते हैं, तो इसका पैसा भी केंद्रीय पथ, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के पास जमा होना चाहिए

-एनएच विंग या तो अपने स्तर से पेड़ कटवाता व ढुलवाता है या वन विकास निगम के माध्यम से यह काम करवाता है

-पेड़ कटवाने, ढुलवाने व रखने के लिए एनएच विंग निगम को पैसा देता है।

यहां पेड़ काटे गए

-रांची-चाईबासा मार्ग ख्0ख् किमी लंबी सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ कटे गए।

-एनएच फ्फ् पर नामकुम आरओबी निर्माण के लिए पेड़ काटे गए

-एनएच फ्फ् पर ही बूटी मोड़ से कांटाटोली तक के पेड़ काटे ग्ए

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सरकार पैसे दे रही, फिर भी नहीं लग रहे पेड़

मुख्यमंत्री जन-वन विकास योजना राज्य में शुरू की गई है। इसके तहत निजी जमीन में कृषक या रैयत, इमारती लकड़ी, शीशम, सागवान, गम्हार, महोगनी तथा फ लदार पौधे आम, बेल, कटहल लगाएंगे तो सरकार खर्च का भ्0 प्रतिशत राशि वहन करेगी। राज्य के बड़े-मंझोले किसान अपनी रैयती जमीन पर बाग-बगीचा लगाएंगे। छोटे किसान अपने खेतों की मेड़ों पर भी इन पौधों को लगाकर योजना का लाभ उठा सकते हैं। सरकार के इतने अच्छे ऑफर के बावजूद लोग पेड़ लगाने आगे नहीं आ रहे हैं।

डोरंडा की खत्म हुई हरियाली

रांची के डोरंडा इलाके में पहले बहुत हरियाली हुआ करती थी। एयरपोर्ट हिनू रोड और डोरंडा में हरियाली दिखती थी, जो अब खत्म हो गई है। बिरसा चौक से राजेंद्र चौक तक रोड साइड जितने भी पेड़ थे, उनको काट दिया गया है। बिरसा चौक से राजेंद्र चौक तक रोड किनारे के सभी पेड काट दिए गए। रोड चौड़ीकरण में सबसे अधिक पेड़ एजी मोड़ से मेकॉन गेट तक कटे गए। एजी मोड़ के पास रोड के दोनों साइड बहुत सारे पेड़ थे। इसके अलावा आईजी रेसिडेंस के पास भी काफ संख्या में पेड़ काटे गए।

पेड़ लगाने की सिर्फ खानापूर्ति

रांची के अधिकतर इलाकों में ऐसी स्थिति है कि कहीं-कहीं पेड़ लगाने की सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। अगर पौधे लग भी रहे हैं, तो बड़ा होने के पहले ही मर जा रहे हैं। प्रावधान के मुताबिक, पेड़ काटने पर दो गुना से अधिक पौधे लगाने हैं। उसका संरक्षण भी करना है, ताकि वे पेड़ का रूप ले सकें। लेकिन, यह इसका पालन नहीं हो रहा है।

Posted By: Inextlive