'महज औपचारिकता न हो अधिकार दिवस'
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर धर्मगुरुओं ने जताई पीड़ा
Meerut। अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर आयोजित गोष्ठी महज औपचारिकता बनकर रह गई है। एक दिन प्रशासनिक मजबूरियों के चलते विभिन्न अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को इकट्ठा किया जाता है और गोष्ठी के बाद उनके प्रस्तावों को रद्दी में टोकरी में डाल दिया जाता है। ईसाई समुदाय के धर्मगुरू डेनियल मसीह के इस बयान के बाद अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर आयोजित गोष्ठी में सन्नाटा पसर गया तो वहीं उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से मांग की कि हर 2 माह में इस तरह की गोष्ठी का आयोजन किया जाए। दरअसल, भैंसाली बस स्टैंड के समीप स्थित चेंबर ऑफ कॉमर्स में मंगलवार को अल्पसंख्यक कल्याण दिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया था। जमकर निकाली भड़ासएक विचार नामक इस गोष्ठी का आयोजन अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ विभाग तथा दिव्यांगजन सशक्तिीकरण विभाग द्वारा किया गया था। जिसमें अल्पसंख्यक मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध और जैन समुदाय के धर्मगुरुओं और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान वक्फ निरीक्षक रचना तोमर ने अल्पसंख्यक अधिकार दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की जानकारी दी तो वहीं वक्ताओं ने समाज की समस्याओं पर जमकर भड़ास निकाली।
रोष प्रकट कियामदरसों पर सरकार के लगातार प्रहार की पीड़ा भी वक्ताओं ने जाहिरकी। वहीं दूसरी ओर मदरसों में पढ़ा रहे शिक्षकों का मानदेय न मिलने पर भी लोगों ने रोष प्रकट किया। नायब शहर काजी हाजी जैनुर साजीदीन, मनसबिया अरेबिक कॉलेज के प्रिंसिपल सैय्यद मोहमद अफजाल नकवी ने, सरदार सरबजीत सिंह कपूर, भंते ज्ञान ज्योति, एचके जैन, मदरसा बोर्ड के पूर्व सदस्य अतहर काजमी, उप निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण विभाग मोहम्मद तारिक, नेहा गोयल, दानिश महमूद आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
मिला लाभ इस अवसर पर अल्पसंख्यक शादी अनुदान योजना के 15 लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र दिए गए। 19 दिव्यांगो को सहायता उपकरण वितरित किए गए।