काबुल में न्‍यूज एजेंसी के दफ्तर पर हमला कर 41 लोगों की जान लेना यह साबित करता है कि प्रेस की आजादी सरकारों से ज्‍यादा अब आतंकियों को चुभने लगी है। यही वजह है कि मीडिया अब उनके निशाने पर ज्‍यादा रहता है। दुनियाभर में मीडिया दफ्तरों पर हमले हो रहे हैं। यह परिपाटी आईएसआईएस के समय कुछ ज्‍यादा ही प्रचलन में आ गई है। अफगानिस्‍तान में ही उसने इस साल तीन हमले किए। इससे पहले 2015 में शार्ली अब्‍दो के दफ्तर पर दिनदहाड़े हमला कर पत्रकारों की जान लेने की बात कौन भूल सकता है। आइए जानते हैं उन 4 हमलों के बारे में जिसमें कलम से काम कर रहे पत्रकारों पर आतंकियों ने बंदूकों और धमाकों से हमले कर उनकी जान ली...


काबुल में न्यूज एजेंसी के दफ्तर पर आईएसआईएस का हमला, 41 मरेअफगानिस्तान में गुरुवार को एक न्यूज एजेंसी के कार्यालय और उससे सटे शिया कल्चरल सेंटर को निशाना बनाकर किए गए बम धमाके में 41 लोग मारे गए जबकि 84 घायल हुए। राजधानी काबुल में हुए इस आतंकी हमले में ज्यादातर छात्रों को नुकसान हुआ जो घटना के वक्त एक कांफ्रेंस में हिस्सा ले रहे थे। अफगान वॉयस न्यूज एजेंसी के दफ्तर में यह कांफ्रेंस देश में सोवियत संघ के सैन्य हस्तक्षेप की 38 वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित की गई थी। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने ली है।भारत में प्रेस की आजादी : पाकिस्तान और अफगानिस्तान से बदतर हालातआतंकियों ने काबुल में टीवी चैनल के दफ्तर पर हमला बोल एक की जान ली थी


7 नवंबर, 2017 को आतंकियों ने एक टीवी चैनल के दफ्तर पर हमला बोल दिया था। इस हमले में एक की जान चली गई थी जबकि 3 अन्य घायल हो गए थे। हमलावरों में एक सुसाइड बॉम्बर भी शामिल था। यह हमला शमशाद टीवी के दफ्तर पर किया गया था। इस हमले में तालिबान ने अपनी संलिप्तता से इनकार किया था।


पूरे जलवे के साथ शार्ली अब्दो ने की वापसी

Posted By: Satyendra Kumar Singh