स्टेंट में 8 प्रतिशत की कमी, कीमतें तत्काल प्रभाव से लागू

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने की स्टेंट के रेट की समीक्षा

Meerut। केंद्र सरकार ने दिल के मरीजों को राहत देते हुए बीते साल स्टेंट के रेट कम किए थे। अब एक साल बाद नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने स्टेंट के रेट की समीक्षा की है। जिसमें यह टटोला गया है कि आखिर मरीजों को रिवाइज रेट्स से कितनी राहत मिली है। अब नए रिवाइज रेट से स्टेंट की कीमतों में तकरीबन 8 प्रतिशत तक की कमी आई है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शहर के अस्पतालों में स्टेंट के रिवाइज रेट के हालातों को टटोला।

क्या हुआ

पिछले साल सरकार ने स्टेंट के तकरीबन 85 प्रतिशत रेट कम किए थे। इसके बाद अब नेशनल फार्मास्यूटिकलप्राइसिंग अथॉरिटी ने स्टेंट के रेट को फिर से रिवाइज किया है।

क्या हैं स्टेंट

दरअसल, हार्ट में मौजूद ब्लॉकेज को रिमूव करने के लिए स्टेंट का इस्तेमाल होता है। ब्लॉकेज की स्थिति के आधार पर इलाज तीन तरह से होता है। पहला दवाओं से, दूसरा स्टेंट से और तीसरा बायपास सर्जरी से। एंजियोप्लास्टी यानि स्टेंट डालने से पहले देखा जाता है कि इसके रिजल्ट कैसे होंगे। आर्टरी की क्या सिचुएशन है। स्टेंट कितने महीने या साल तक कारगर होगा। स्टेंट डालने से कोई रिस्क तो नहीं। यही सब फैक्टर बायपास में भी देखे जाते हैं और फिर फाइनल डिसीजन लिया जाता है कि एंजियोप्लास्टी होगी या फिर बायपास सर्जरी।

तीन तरह के स्टेंट

डॉक्टर्स के मुताबिक स्टेंट की तीन वैरायटी होती हैं। जिन्हें ड्रग इल्यूटिंग स्टेंट, बेयर मेटल स्टेंट और बायो डिग्रेडेबल स्टेंट के नाम से जाना जाता है। इनमें सबसे ज्यादा खपत ड्रग इल्यूटिंग स्टेंट की होती है।

स्टेंट की कीमतें

ड्रग इल्यूटिंग स्टेंट यानी दवा वाले स्टेंट

पुराने रेट 29,600

नए रेट 27,890

बेयर मेटल स्टेंट (मैटेलिक डीईएस, बीवीएस)

पुराने रेट - 7,200

नए रेट - 7,660

सरकारी में मुफ्त, लगाए कौन

प्राइवेट अस्पतालों में स्टेंट लगाने के लिए दिल के मरीजों को हजारों रूपये खर्च करने पड़ते हैं, वहीं सरकारी अस्पतालों की स्थिति दयनीय हैं। यहां हृदय रोग विभाग तो हैं लेकिन कोर्डियोलॉजिस्ट व कैथ लैब ही नहीं हैं। जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज दोनों की ही यही स्थिति हैं। अब सवाल यही है कि सरकारी अस्पतालों में स्टेंट कौन लगाएगा।

सर्जिकल आइटम में जरूर फर्क पड़ा है। सर्जरी के लिए अभी कुछ कह पाना मुश्किल हैं। पहले जो सिरींज हमें 10 रूपये में मिलती थी, आज वह पांच रूपये में मिली। ग्लूकोज भी 50 रुपये में आया है।

अशोक कुमार ,मरीज

स्टेंट ही नहीं, दवाओं व अन्य आइटमों की भी कैपिंग होनी चाहिए। प्राइज डिफरेंस खत्म हो जाएं तो मरीजों को आसानी होगी। इतना ही नहीं, उनको क्वालिटी भी अच्छी मिलेगी।

डॉ। वीरोत्तम तोमर, पूर्व आईएमए अध्यक्ष

सर्जिकल आइटम के रेट्स भी हुए कम

फ्ल्यूड- 100 -45

सिरींज--10 -5

मैनीटोल -50-25

शुगर स्ट्रिप-1200-800

कैनुएला--200-120

थर्मामीटर- 150 - 80

बीटाडिन सोल्यूशन- 120-70

Posted By: Inextlive