Maha Shivratri 2020 Puja vidhi: फाल्गुन मास की शिवरात्रि को भगवान शिव सर्वप्रथम शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे इसलिये भी इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है।

Maha Shivratri 2020 Puja vidhi: कलियुग में यह व्रत थोड़े से ही परिश्रम से साध्य होने पर भी महान पुण्य प्रदायक एवं सब पापों का नाश करने वाला होता है। फाल्गुन मास की शिवरात्रि को भगवान शिव सर्वप्रथम शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे, इसलिये भी इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। आइए जानते हैं कि इस व्रत को करने के लिए आवश्याक पूजन सामग्री, पूजन विधि, व्रत कथाकथा व मंत्र आदि।

Maha Shivratri 2020 Pujan Samagri

पूजन सामग्री:- शिव पूजन में प्रायः भयंकर वस्तुएं ही उपयोग होती हैं। जैसे-- भांग, धतूरा, मदार आदि इसके अतिरिक्त रोली, मौली, चावल, दूध, चंदन, कपूर, बिल्वापत्र, केसर, दूध, दही, शहद, शर्करा, खस, भांग, आक-धतूरा एवं इनके पुष्प, फल, गंगाजल, जनेऊ, इत्र, कुमकुम, पुष्पमाला, शमीपत्र, रत्न-आभूषण, परिमल द्रव्य,इलायची, लौंग, सुपारी, पान, दक्षिणा, बैठने के लिए आसन आदि।

Maha Shivratri 2020 Puja vidhi

पूजन विधान इस प्रातः काल दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर काले तिलों का उबटन लगाकर स्नान करें, फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प करें कि मैं महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प पाप के नाश के लिए,भोगों की प्राप्ति हेतु तथा अक्षय मोक्ष की प्राप्ति हेतु लेता हूं। इसके पश्चात शिवजी का पूजन, गणेश, पार्वती, नंदी के साथ उनके प्रिय जैसे- आक, धतूरे के पुष्प, बेलपत्र, दूर्वा, कनेर, मौलश्री, तुलसी दल आदि के साथ षोडशोपचार द्वारा विधि-विधान से करें।इस दिन शिवजी पर पके आम्रफल चढ़ाना अधिक फलदायी होता है। पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन दान करें। शिव स्तोत्र, रुद्राष्टाध्यायी, शिवपुराण की कथा, शिवचालीसा का पाठ और रात्रि जागरण करें। दूसरे दिन व्रत का पारण करने के उपरांत प्रातः काल योग्य ब्राह्मणों द्वारा हवन और रुद्राभिषेक करके अन्न-जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।

Maha Shivratri 2020 Vrat Parana Vidhi

उद्दापन विधि:-रात्रि के समय द्वादश लिंगों एवं द्वादश कुम्भों से युक्त मंडल बनाना चाहिये, उस मंडल को दीपमालाओं से सुशोभित कर उसके बीच वेद मंत्रों के साथ कलश स्थापना करना चाहिए उसकी षोडशोपचार विधि से शिवजी की पूजा करें। पूजन के पश्चात 108 बिल्वपत्र द्वारा अग्नि में हवन करें फिर तिल, अक्षत आदि वस्तुओं को लेकर दोगुना हवन करें, हवन के अंत मे शतरुद्री का जाप करें ऐसा करने से शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं। प्रातः काल 12 ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए।इस प्रकार उद्धापन करने से शिवजी एवं माता पार्वती जी अत्यंत प्रसन्न होकर शुभफल प्रदान करते हैं।

Maha Shivratri 2020 Vrat Katha

शिवमहापुराण के अनुसार बहुत पहले अबुर्द देश में सूंदरसेन नामक निषाद राजा रहता था। वह एक बार जंगल मे अपने कुत्तों के साथ शिकार के लिए गया। पूरे दिन परिश्रम के बाद उसे कोई भी जानवर नहीं मिला। भूख प्यास से पीड़ित होकर वह रात्रि में जलाशय के तट पर एक वृक्ष के पास जा पहुंचा। जहां उसे शिवलिंग के दर्शन हुए। अपने शरीर की रक्षा के लिए निषादराज ने वृक्ष की ओट ली लेकिन उनकी जानकारी के बिना कुछ पत्ते वृक्ष से टूरकर शिवलिंग पर गिर पड़े उसने उन पत्तों को हटाकर शिवलिंग के ऊपर स्थित धूलि को दूर करने के लिए जल से उस शिवलिंग को साफ किया। उसी समय शिवलिंग के पास ही उसके हाथ से एक बाण छूटकर पृथ्वी पर गिर गया। अतः घुटनों को भूमि पर टेककर एक हाथ से शिवलिंग को स्पर्श करते हुए उसने उस बाण को उठा लिया। इस तरह राजा द्वारा रात्रि-जागरण, शिवलिंग का स्नान, स्पर्श और पूजन भी हो गया। प्रातः काल होने पर निषाद राजा अपने घर चला गया और पत्नी के द्वारा दिये गए भोजन को खाकर अपनी भूख मिटाई। यथोचित समय पर उसकी मृत्यु हुई तो यमराज के दूत उसको पाश में बांधकर यमलोक ले जाने लगे, तब शिवजी के गणों ने यमदूत से युद्द कर निषाद को पाश से मुक्त करा दिया। इस तरह वह निषाद अपने कुत्तो के साथ भगवान शिव के प्रिय गणों में शामिल हुआ।

Maha Shivratri 2020 Mantra

भगवान शिव की पूजा ध्याnन से शुरू की जानी चाहिए। ध्या न के लिए नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए।

शिव ध्यान मंत्र- ध्यानेन नित्यं महेशं रजतगिरि निमं ।

चारु चंद्रा वतंसं रत्नाकल्पो ज्वलांगं।

परशु मृगवरा भीति हस्तं प्रसन्नं।

पद्मासीनं समन्तात स्तुरममर गणेर्व्याष्र ।

व्याघ्र कृतिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंदन।

निखिल भयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रं।

Posted By: Mukul Kumar