प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में जनसभा को संबोधित किया। इस दाैरान उन्होंने पुरुलिया में जलसंकट का हवाला देते हुए कहा कि टीएमसी के दिन अब गिनती के रह गए हैं और ये बात ममता दीदी भी अच्छी तरह समझ रही हैं। इसीलिए 'खेला होबे' जैसे नारे लग रहे हैं।


पुरुलिया (एएनआई)। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के चुनावी राज्य में ममता बनर्जी के 'खेला होबे' नारे को चुनौती देते हुए, नौकरियों, विकास और शिक्षा का वादा किया। पीएम मोदी ने कहा, वह कहती हैं, &खेले होबे&य, दीदी कहती हैं, &खेला होब&य लेकिन बीजेपी कहती है, &विकास होबे&य। पहले वाम सरकार और फिर टीएमसी सरकार ने उद्योगों को यहां विकसित नहीं होने दिया। सिंचाई के लिए जिस तरह का काम होना चाहिए था, वह नहीं हुआ। टीएमसी सरकार अपने 'खेत' में व्यस्त थीमुझे पता है कि कम पानी के कारण पशुधन को पालने में आने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पश्चिम बंगाल में विकास होगा जिससे लोगों का जीवन आसान होगा


पीएम मोदी ने आगे सवाल किया, "दीदी, साल-दर-साल, आप एक सेतु भी नहीं बना पाई हैं, और अब आप उद्योग और विकास के बारे में बात कर रही हैं?" उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि भाजपा सरकार बनने के बाद पश्चिम बंगाल में विकास होगा जिससे लोगों का जीवन आसान होगा और उनकी समस्याओं को प्राथमिकता से निपटाया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार पर पानी के लोगों को पानी से वंचित करने और उन्हें प्रवासन और भेदभावपूर्ण शासन देने का आरोप लगाया, जिसके कारण इस क्षेत्र को देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक के रूप में पहचाना जाता है।सीता की प्यास बुझाने वाली भूमि अब जल संकट का सामना कर रहीप्रधानमंत्री ने कहा कि टीएमसी सरकार सिर्फ अपना खेल खेल रही है। इन लोगों ने पुरुलिया को जल संकट से त्रस्त कर दिया है। पुरुलिया को "भगवान राम और देवी सीता के वनवास का गवाह" के रूप में वर्णित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह एक विडंबना है कि देवी सीता की प्यास बुझाने वाली भूमि अब जल संकट का सामना करती है। कहा जाता है कि जब देवी सीता को प्यास लगी थी, तब भगवान राम ने एक तीर से मारकर जमीन से पानी निकाला। यह एक विडंबना है कि पुरुलिया को आज जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।महिलाओं को पीने का पानी लाने के लिए दूर जाना पड़ता है।टीएमसी के दिन अब गिनती के रह गए हैं और ये बात दीदी भी समझ रही

इस दाैरान प्रधानमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी के दिन अब गिनती के रह गए हैं और ये बात ममता दीदी भी अच्छी तरह समझ रही हैं। इसलिए वो कह रही हैं, खेला होबे। जब जनता की सेवा की प्रतिबद्धता हो, जब बंगाल के विकास के लिए दिन-रात एक करने का संकल्प हो, तो खेला नहीं खेला जाता है।10 साल के तुष्टिकरण के बाद, लोगों पर लाठियां-डंडे चलवाने के बाद, अब ममता दीदी अचानक बदली-बदली सी दिख रही हैं। ये हृदय परिवर्तन नहीं है, ये हारने का डर है। 294 सदस्यीय राज्य विधानसभा चुनाव 27 मार्च से शुरू होने वाले हैं। वहीं यहां पर मतगणना 2 मई को की जाएगी।

Posted By: Shweta Mishra